मेरे दिल में ख्याल आया है ।
अभी अभी मेरे दिल में ख्याल आया है,
क़ि ख्याल दिल में क्यूँ आया
दिमाग में क्यों नहीं आया है?
लोग दरवाजे में खड़े होकर बात करते है,
पीछे देखने के लिए भगवान् ने
एक आँख को पीछे क्यों नहीं बनाया है?
मेरे दिल में ख्याल आया है,
प्याज टमाटर क्या भाव, कितने लाये?
पूछकर, पडोसी ने अपना धर्म निभाया है,
विदेश में ऐसा प्यार कहाँ,
मुझे समझ में आया है.
कल दीदी का ब्लॉग पढ़कर
मेरे दिल में ख्याल आया है।
पीठ में छुरा कोई भोंके इस से पहले,
एक आँख को पीछे क्यों नहीं बनाया है.
पंडित की कथा और बीबी की व्यथा,
कुछ भी समझ नहीं पाया फिर भी
ध्यान से सुनाने का स्वांग हमने रचाया है.
मेरे दिल में ख्याल आया है।
देखते नहीं सीट पर रूमाल?
कहकर मुझे भगाया गया,
खाली सीट पर रूमाल का मतलब,
आजतक समझ नहीं आया है.
B u t बट है तो p u t पुट क्यों,
लकड़ी जलना बर्न है,
बल्ब का जलना बर्न क्यों नहीं,
किसी ने नहीं बताया है,
इसलिए इंग्लिश को त्यागकर मैंने,
हिंदी को गले लगाया है।
आप भी कविता का आनंद लीजिये,
फिर खुद समझ आ जायेगा
जो समझ में नहीं आया है।
प्रिय ब्लॉगर रविंदर भाई जी,
”अभी अभी मेरे दिल में ख्याल आया,
बाकी काम छोड़कर अपना ब्लॉग देखने का मन बनाया,
अपना ब्लॉग खोलते ही आपका खूबसूरत ब्लॉग नजर आया,
आपने प्रश्नों का आमरस पिलाकर खूब सोचने को विवश कराया है,
सबसे अच्छी बात यह लगी,
”इसलिए इंग्लिश को त्यागकर मैंने,
हिंदी को गले लगाया है.”
इन प्रश्नों को इतने मनोरंजक ढंग से काव्य में पिरोया जा सकता है,
हमारे दिल में कभी नहीं आया.”
बहुत सुंदर ब्लॉग के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद और बधाई