श्रवण कुमार
श्रवण जैसा बेटा बनो जग में पहचान होना चाहिए
दीन-दुखियों की सेवा व्यक्तित्व महान होना चाहिए।
माता-पिता का आदर करना, रखना उनका ख्याल
छोटों को प्यार सदैव बड़ों का मान होना चाहिए।
जैसा बोओगे काटोगे वहीं, तू ठान ले अपने मन में
बुजुर्गों का दिल न दुखाना न अपमान होना चाहिए।
माता-पिता ने जीवन दिया उनका तुम सम्मान करो
पाल-पोसकर बड़ा किया है, गुणगान होना चाहिए।
जीवन में संघर्ष बहुत उन तूफानों से कभी न डरना
सुख-दुख में खुश रहना यही दास्तान होना चाहिए।
काँवड़ में बिठा चल दिये मात-पिता आँखों से लाचार
संकल्प लिया श्रवण ने आज तीर्थ-दान होना चाहिए।
माता-पिता की #सेवा का आज मुझे सौभाग्य मिला
नत्-मस्तक हूँ इनके चरणों में सम्मान होना चाहिए।
— सुमन अग्रवाल “सागरिका”
आगरा ( स्वरचित )