गीतिका/ग़ज़ल

श्रवण कुमार

श्रवण जैसा बेटा बनो जग में पहचान होना चाहिए
दीन-दुखियों की सेवा व्यक्तित्व महान होना चाहिए।

माता-पिता का आदर करना, रखना उनका ख्याल
छोटों को प्यार सदैव बड़ों का मान होना चाहिए।

जैसा बोओगे काटोगे वहीं, तू ठान ले अपने मन में
बुजुर्गों का दिल न दुखाना न अपमान होना चाहिए।

माता-पिता ने जीवन दिया उनका तुम सम्मान करो
पाल-पोसकर बड़ा किया है, गुणगान होना चाहिए।

जीवन में संघर्ष बहुत उन तूफानों से कभी न डरना
सुख-दुख में खुश रहना यही दास्तान होना चाहिए।

काँवड़ में बिठा चल दिये मात-पिता आँखों से लाचार
संकल्प लिया श्रवण ने आज तीर्थ-दान होना चाहिए।

माता-पिता की #सेवा का आज मुझे सौभाग्य मिला
नत्-मस्तक हूँ इनके चरणों में सम्मान होना चाहिए।

सुमन अग्रवाल “सागरिका”
आगरा ( स्वरचित )

सुमन अग्रवाल "सागरिका"

पिता का नाम :- श्री रामजी लाल सिंघल माता का नाम :- श्रीमती उर्मिला देवी शिक्षा :-बी. ए. ग्रेजुएशन व्यवसाय :- हाउस वाइफ प्रकाशित रचनाएँ :- अनेक पत्र- पत्रिकाओं में निरन्तर प्रकाशित। सम्मान :- गीतकार साहित्यिक मंच द्वारा श्रेष्ठ ग़ज़लकार उपाधि से सम्मानित, प्रभा मेरी कलम द्वारा लेखन प्रतियोगिता में उपविजेता, ताज लिटरेचर द्वारा लेखन प्रतियोगिता में तृतीय स्थान, साहित्य सुषमा काव्य स्पंदन द्वारा लेखन प्रतियोगिता में तृतीय स्थान, काव्य सागर द्वारा लेखन प्रतियोगिता में श्रेष्ठ कहानीकार, साहित्य संगम संस्थान द्वारा श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान, सहित्यपिडिया द्वारा लेखन प्रतियोगिता में प्रशस्ति पत्र से सम्मानित। आगरा