कविता

सावन ( विन्यास )

विषय : सावन
विधा : विन्यास
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सा – सारा जग था विकल तपन से
व – वट , तट , घट सूखे अकुलाये
न – नव जीवन नव उल्लास लिए
” सावन ” जाने कब तक आए ??

सा – सागर की सौगात लिए
व – वह नीर सुधा ले आया है
न – नभ हर्षित हो गूँज रहा
” सावन ” देखो घिर छाया है

सा – साहित्य के धारों सी आई
व – वह मस्त बहारों सी आई
न – नटखट निर्मल चंचल सी
” सावन ” की फुहारों सी आई

‘ विन्यास ‘ , यह विधा मेरी कल्पना है , इसमें शब्दों का विन्यास कर कविता बनाई जाती है ।
आप सबकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी ।

समर नाथ मिश्र
रायपुर