कविता

देश के जाबाज़ सैनिको

देश के जाबाज़ सैनिको तुम पर हमें अभिमान है।
देश के वास्ते शहीद हुए बहादुर देश के वीर जवान है।

अमर शहीदों की कुर्बानी, याद सदैव हमें आते रहेंगे,
सूरज चाँद सितारें की तरह गगन में सदा चमकते रहेंगे।

नमन माता-पिता को जिन्होंने वीर पुत्र को जन्म दिया,
सीने पर पत्थर रखकर बोर्डर पर लड़ने भेज दिया।

देश का सिर नही झुकने देंगे ऐसी हिम्मत रखने वाले,
शत-शत नमन सैनिकों को वतन की रक्षा करने वाले।

पाक के नापाक इरादे हुए नही करने दी उनको मनमानी,
तूफानों की तरह लड़ते रहे वीरों ने हार कभी नही मानी।

कारगिल युध्द में विजय प्राप्त कर विजय पताका फहराया,
तिरंगा झंडा फहराकर शौर्य-वीरता का परचम लहराया।

लहू से लथपथ होकर भी अंतिम सांस तक खेली होली,
लिपट तिरंगा से वीरों की, निकली थी अंतिम डोली।

सरहद के उस पर जवान हमारी भारत भूमि की शान है,
शहादत पे जान गंवाने वाले देश को तुमपर अभिमान है।

— सुमन अग्रवाल “सागरिका”
आगरा

सुमन अग्रवाल "सागरिका"

पिता का नाम :- श्री रामजी लाल सिंघल माता का नाम :- श्रीमती उर्मिला देवी शिक्षा :-बी. ए. ग्रेजुएशन व्यवसाय :- हाउस वाइफ प्रकाशित रचनाएँ :- अनेक पत्र- पत्रिकाओं में निरन्तर प्रकाशित। सम्मान :- गीतकार साहित्यिक मंच द्वारा श्रेष्ठ ग़ज़लकार उपाधि से सम्मानित, प्रभा मेरी कलम द्वारा लेखन प्रतियोगिता में उपविजेता, ताज लिटरेचर द्वारा लेखन प्रतियोगिता में तृतीय स्थान, साहित्य सुषमा काव्य स्पंदन द्वारा लेखन प्रतियोगिता में तृतीय स्थान, काव्य सागर द्वारा लेखन प्रतियोगिता में श्रेष्ठ कहानीकार, साहित्य संगम संस्थान द्वारा श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान, सहित्यपिडिया द्वारा लेखन प्रतियोगिता में प्रशस्ति पत्र से सम्मानित। आगरा