वाणी वंदना
करूँ वंदना मैं, मातु तुम्हारी….
शरण पड़ी हूँ रख लाज हमारी…
करूँ वंदना मैं………………….
न है ज्ञान माता,झोली खाली हमारी
ज्ञान दे दो माता, भरो झोली हमारी
तुम्हारे अलावा न कोई है मेरा
तू जो कृपा कर दे तो बदले किस्मत हमारी
करूँ वन्दना मैं मातु तुम्हारी
शरण में पड़ी हूँ रख लाज हमारी।
भंवर में है अटकी नैय्य्या हमारी
तुम ही हो मैय्या खेवनहार हमारी
नहीं कोई तुम सा है कोई दानी
विनती करूँ मैं तो अपनी जुबानी
करूँ वंदना मैं मातु तुम्हारी
शरण पड़ी हूँ रख लाज हमारी
करूँ वंदना………………….
हे हँसवाहिनी अब तो आ जाओ
बेचैन हूँ मैं, दरश तो दिखाओ
दृगों से है बहते , निर्झर ये आँसू
तेरे दर्शन की है अभिलाषा हमारी
करूँ वंदना मैं, मातु तुम्हारी
शरण पड़ी हूँ, रख लाज हमारी।
करूँ वंदना मैं………………….
— सुषमा मोहन पांडेय