गीत – कलम/लेखनी/तूलिका
कलम कहीं कब रुक पाती है ,नभ में परे उड़ान ।
कह जाती है प्रीत दिलों की ,नयन लिए अरमान ।
आड़े-तिरछे शब्द उकेरे , भर-भर उर में भाव ।
अनबुझ,गहरे इन शब्दों से,मेरा रहा लगाव ।
रंग बिखेरे सतरंगी भी ,जब मन हो वीरान ।
कह जाती है प्रीत दिलों की ,नयन लिए अरमान ।
जाने किसका बिम्ब उभारे ,अक्षर अक्षर जाल ।
कहीं लहर का नृत्य अनोखा ,कहीं पवन दे ताल ।
श्वास सुवासित करती सौंधी मिट्टी की मुस्कान ।
कह जाती है प्रीत दिलों की ,नयन लिए अरमान ।
पीड़ा मीरा की लिखती अरु,राधा जी का प्यार ।
वीर जवानों की करती है ,कलम मेरी जयकार ।
छन्द,गजल,गीतों को मेरे ,देती है पहचान ।
कह जाती है प्रीत दिलों की ,नयन लिए अरमान ।
— रीना गोयल