गीत/नवगीत

मां

मां बस एक शब्द नही, यह जीवन की संजीवनी है
मां जग में सुंदर सपनों की, नई कीर्ति अभिलाषा है।
मां केवल जननी नही मात्र, वह तो दुर्गा, शक्ती, देवी है,
मां प्रेम, वात्सल्य की मूर्ति नही, साक्षात ब्रम्ह स्वरूपा है
मां जीवन की बागडोर है, मां बच्चों के मन की भाषा है।
मां जग में…………………….
ईश्वर की सब कृतियों में , मां अनुपम श्रेष्ठ कृति है,
मानवता के मानचित्र पर, मां संवेदना की स्मृति है
विश्वपटल के सभी ग्रहों पर, मां मधुर गीत की भाषा है।
मां जग में…………………….
जीवन के कठिन समय मे, मां मेरे लिए भगवान है
समय चक्र के घोर तिमिर में, मां मेरे लिए वरदान है
सब सद्कर्मों की देवमूर्ति, मां मेरे हृदय का विस्वास है।
मां जग में…………………….
मां गंगा, यमुना, सरस्वती, संगम की पावन धारा है
मां बालक की किलकारी, सपनों का एक सहारा है
मां आंगन की फुलवारी, करुणा, ममत्व की परिभाषा है
मां जग में…………………….

*बाल भास्कर मिश्र

पता- बाल भाष्कर मिश्र "भारत" ग्राम व पोस्ट- कल्यानमल , जिला - हरदोई पिन- 241304 मो. 7860455047