कविता

साजिश से फसाद तक

एक साजिस के तहद फसाद हो गया
नापाक इरादे रखनेवाले
आज कामयाब हो गया
फसाद के बीच दौड़ते, भागते, चिल्लाते
लोगो का जमात हो गया
हर चौराहे, गलियो, नुक्कड़ो पर
आबरू बचाते बहु-बेटियाँ बर्बाद हो गया
भाई ही भाई का कत्ल करने के लिए जल्लाद हो गया
आग की लपटो से जल रही फिजा विष से विषाक्त हो गया
थोड़ा सा विश्वास क्या डगमगाया?
साजिस जैसी घटना फसाद हो गया
एक ही रात मे वर्षो की एकता,
अखण्डता जार-जार हो गया
रिस्ते-नाते ऐसे टूटे शर्म से शर्म ़भी शर्मशार हो गया
ईदगाह का खुला मैदान आज ़शमशान हो गया
खून से खेले होलीयो से बच्चे-बच्चे का
हाथ लाल लाल हो गया
खेल यह साजिस का कामयाब हो फसाद हो गया
दुसरे ही दिन फसादी नेताएँ अमन और चैन का
लेकर राग आ गया
पहचान न पाया कल्लू पहलवान और कुछ मासूम लोग भी
जो पिछली रात फसादीयो के हत्थे पड़
मौत का शिकार हो गया

बिनोद कुमार रजक

प्रभारी शिक्षक न्यु डुवार्स हिन्दी जुनियर हाई स्कुल पोस्ट-चामुर्ची, गाम- न्यु डुवार्स टी जी, जिला-जलपाईगुड़ी पिन- 735207 पश्चिम बंगाल ई-मेल[email protected] Mob no-6297790768, 9093164309