अश्रुपूरित श्रद्धांजलि महानायिका को
अविरल आँसू आँखों में भर,
चली गयी निज धाम ।
हुआ शोक संतप्त देश है,
लेकर उसका नाम।
जब कोई संकट में होता ,
तुमसे करते आस ।
जाति-धर्म से ऊपर उठकर ,
आ जाती थी पास ।
नेह -स्नेह की गागर सुष्मा,
निश्छल अरु निष्काम ।।
हुआ शोक संतप्त देश है
लेकर उसका नाम।।
पक्ष -विपक्ष क्षुब्ध हैं सारे,
शब्द हुए हैं मौन
अब सौम्य,मृदुल, प्रखर प्रवक्ता ,
कहलाएगी कौन ।
राजनीति में जीवन अर्पित ,
करती सुबहो-शाम।
हुआ शोक-संतप्त देश है
लेकर उसका नाम।।
सजल नयन स्वीकारें कैसे ,उनका महा प्रयाण?
लो श्रद्धांजलि महानायिका!
मिले प्रभु चरण स्थान ।
भारत की इक दीप्ति बुझी हक
चिर निंद्रा विश्राम ।।
हुआ शोक संतप्त देश है,
लेकर उसका नाम।
— रीना गोयल