इतिहास

दुनिया की सबसे प्रखर वक्ता और असाधारण महिला राजनेता : सुषमा स्वराज

पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का अचानक यूं हम सबसे दूर चले जाना न केवल भाजपा के लिए वरन् सम्पूर्ण राजनीतिक दलों के लिए अपूरणीय क्षति है। वे एक ऐसी महिला राजनेता थीं, जो अपने सौम्य और मधुर व्यवहार के लिए जानी जाती थीं। जो व्यक्ति उनसे एक बार मिल लेता था, वह उनका फैन बन जाता था। राजनीतिक हलकों में उनकी पहचान एक प्रखर वक्ता की थी, साथ ही साथ वे अपने बुलन्द हौसले और बेबाकी के लिए भी जानी जाती थीं। मोदी सरकार के पहले शासनकाल में विदेश मंत्री रहते हुए उन्होंने कई देशों की यात्रा की थी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की एक स्पष्ट और दृढतापूर्ण छवि बनाने में कामयाब रही थीं।
पारिवारिक जीवन
सुषमा स्वराज का जन्म हरियाणा के अंबाला कैंट में 14 फरवरी 1952 को हुआ था। उनके पिता हरदेव शर्मा आरएसएस के प्रमुख में से थे। सुषमा जी ने अंबाला छावनी के एसएसडी काॅलेज से बीए की पढ़ाई करने के बाद चंडीगढ़ से कानून की डिग्री हासिल की। वे तीन साल तक एसडी कॉलेज, छावनी में एनसीसी की बेस्ट कैडेट रहीं। उन्हें तीन साल तक राज्य की सर्वश्रेष्ठ वक्ता भी चुना गया। पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ से कानून की पढ़ाई करने के दौरान भी 1973 में उन्हें सर्वोच्च वक्ता का पुरस्कार मिला था।
राष्ट्रीय राजनीति में आने से पहले उन्होंने अपने पति के साथ सर्वोच्च न्यायालय में प्रेक्टिस भी शुरू की थी। उनके पति स्वराज कौशल भी सुप्रीम कोर्ट के बेहद प्रतिष्ठित अधिवक्ता रहे हैं। इन दोनों की एक बेटी है, जिसका नाम बांसुरी है। उसने भी ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से स्नातक और इनर टेंपल से कानून की डिग्री हासिल की है। वह भी दिल्ली हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में आपराधिक मामलों की जानी-मानी वकील हैं।
राजनीतिक जीवन की शुरूआत
सुषमा स्वराज के राजनीतिक जीवन की शुरूआत भाजपा की ही छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से हुई थी। वे छात्र जीवन से ही एक अच्छी वक्ता थीं।मात्र 25 वर्ष की आयु में उन्हें हरियाणा सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। उन्होंने अंबाला कैंट विधानसभा क्षेत्र से विधायक का चुनाव जीता था। 1977 से 1979 तक वे राज्य की श्रम मंत्री रहीं। तत्पश्चात 1980 में भाजपा के गठन के समय ही वे पार्टी में शामिल हो गईं। 1987 वह 1990 में भी वे अंबाला कैंट से विधायक चुनी गईं। महज़ 27 वर्ष की आयु में वे हरियाणा में भाजपा की अध्यक्ष बन गई थीं।
लोकप्रिय एवं सक्षम विदेश मंत्री
         अब तक वे तीन बार विधायक और सात बार सांसद रह चुकी हैं। अंतिम बार वे वर्ष 2014 में विदिशा से लोकसभा सांसद चुनी गई और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी। 15 वीं लोकसभा में उन्होंने बतौर नेता प्रतिपक्ष संसद में पार्टी का नेतृत्व किया। 2016 में किडनी ट्रांसप्लांट के बाद स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने 2019 का चुनाव नहीं लड़ा। फिर भी वे पार्टी, देश और देशवासियों के लिए अंतिम सांस तक काम करती रहीं। अपनी मृत्यु से तीन घंटे पूर्व उन्होंने ट्वीट करके प्रधानमंत्री मोदी को कश्मीर में धारा 370और 35ए हटाने के लिए बधाई दी थी और कहा था कि मुझे इस दिन का कब से इंतजार था।
      वे एक ऐसी महिला राजनेता थीं, जिन्होंने उत्तर से लेकर दक्षिण तक की राजनीति की और हर जगह सफलता प्राप्त की। वे केवल अपनी पार्टी में ही लोकप्रिय नहीं थीं, बल्कि अन्य विपक्षी दलों के नेताओं के साथ भी उनके बहुत अच्छे संबंध थे। इसका जीता जागता उदाहरण है, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ग़ुलाम नबी आजाद का ये कहना- ‘हम स्तब्ध हैं। हमने ये कभी नहीं सोचा था कि वे इतनी जल्दी हमें छोड़कर चली जाएंगी। हमने कभी एक-दूसरे को नाम से नहीं पुकारा। वे हमेशा मुझे भाई कहती थीं और मैं उन्हें बहन कहता था।’
हरियाणा से सक्रिय राजनीति में आईं सुषमा स्वराज वर्ष 1998 में दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। कई बार वे केन्द्र सरकार में कैबिनेट मंत्री बनीं, परन्तु उन्होंने सबसे ज्यादा शोहरत मोदी सरकार के पहले शासनकाल में विदेश मंत्री के रूप में पाई। सोशल मीडिया पर उनकी सक्रियता और आम जनता के साथ उनके संबंधों ने उनको शोहरत की बुंलदियों पर पहुंचा दिया। किसी साधारण से साधारण व्यक्ति के एक ट्वीट पर वे उसकी हरसंभव मदद करने के लिए तैयार हो जाती थीं। 2015 में ललित मोदी की पत्नी के इलाज के लिए जब उन्होंने उनका वीजा बनवाने में सहायता की तो विपक्ष ने उन पर ललित मोदी को भगाने में सहायता करने का आरोप लगाया। उन्होंने इसका बड़ी ही शालीनता से संसद में जवाब दिया। उन्होंने सोनिया गांधी से मुखातिब होते हुए पूछा- ’17 साल से ललित मोदी की पत्नी कैंसर से पीड़ित हैं। उन्हें पुर्तगाल में इलाज की आवश्यकता थी। अगर मानवीय आधार पर मैंने उनकी सहायता की तो क्या ग़लत किया। अगर मेरी जगह आप होती तो क्या करतीं?’
एक बेहतरीन इंसान
उन्होंने अपनी इंसानियत के एक नहीं अनेक उदाहरण प्रस्तुत किए। युद्धग्रस्त इराक में फंसे 168 भारतीयों को उन्होंने बचाया तो दोहा एयरपोर्ट पर फंसे प्रांशू सिंघल के भाई को बचाने में उन्होंने अपनी पूरी ताकत झोंक दी और उसे बचा लिया। जर्मनी घूमने गई हुई एक महिला ने जब अपना पासपोर्ट और पैसा सब कुछ गंवा दिया और सुषमा स्वराज को
ट्वीट करके सहायता मांगी तो उन्होंने तुरंत उसकी मदद की। कैप्टन निखिल महाजन के भाई कैप्टन तुषार महाजन के निधन पर उनके पार्थिव शरीर को स्वदेश लाने में उन्होंने निखिल की मदद की।
युद्धग्रस्त यमन में फंसे हुए 4741 भारतीयों और 1947 विदेशी नागरिकों को ऑपरेशन राहत चलाकर बचाया गया। यह उस समय चलाया गया सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन था। इसी तरह एक यमन महिला ने अपने 8 माह के बच्चे की फोटो ट्वीट करके उन्हें वहां से निकालने की गुहार लगाई और सुषमा स्वराज ने अपने मदद के हाथ आगे बढ़ा दिए। इस तरह उन्होंने लगभग 80 हजार लोगों की मदद की। उनके 1.31 करोड़ फाॅलोअर्स थे। वे दुनिया की सबसे चर्चित महिला राजनेता थीं।
हिन्दी और अंग्रेजी पर समानाधिकार
सुषमा स्वराज जितना अच्छा भाषण अंग्रेजी में देती थीं, उतना ही अच्छा वे हिन्दी में भी बोलती थीं। तभी यूएनओ में हिन्दी में दिया गया उनका भाषण काफी चर्चित रहा। जब संसद में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी ने उन पर शेर कहा तो उन्होंने भी उसी अंदाज में शेर कहकर उनको जवाब दिया।वे एक खुशमिजाज, जिन्दादिल और प्रतिभाशाली राजनेता थीं। उनके असामयिक निधन पर न केवल भाजपा में ही शोक की लहर छाई हुई है, अपितु विपक्ष के नेता भी इसे अपूरणीय क्षति मान रहे हैं।
जहां मोदी जी ने सुषमा जी के निधन को व्यक्तिगत क्षति बताया, वहीं राहुल गांधी ने ट्वीट किया- ‘वे असाधारण राजनेता थीं। वे बेहतरीन सांसद और वक्ता थीं।’ सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर ने कहा- ‘ हमारी विदेश मंत्री हमेशा याद आएंगी।’ कवि कुमार विश्वास ने कहा- ‘भारत की राजनीतिक श्री अनंत में विलीन हो गई। जनभाषा की संसदीय सुषमा समाप्त हो गई।’ आज़ जब उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया तो नरेन्द्र मोदी से लेकर लालकृष्ण आडवाणी तक और वेंकैया नायडू से लेकर हर नेता की आंखों में नमी थी। सब अश्रुपूरित नेत्रों से अपनी एक विशिष्ट मित्र और सहयोगी को अंतिम विदाई दे रहे थे।
— सरिता सुराणा

सरिता सुराणा

पति : बिमल सुराणा शिक्षा : बी. ए. ( राजस्थान विश्वविद्यालय , जयपुर ) लेखन विधा : कहानी , व्यंग्य , निबंध , लघुकथा , कविता , संस्मरण , पत्र - लेखन एवं समीक्षा आदि । प्रकाशन : कादम्बिनी , सरिता , गृहशोभा , संकल्य , पुष्पक , भास्वर - भारत , अणुव्रत , युवादृष्टि , जैन भारती , राष्ट्रधर्म , प्रेरणा - अंशु , सरस्वती सुमन , इंडिया टुडे आदि । जागती जोत , हथाई एवं नैणसी आदि राजस्थानी भाषा की पत्रिकाएं । राजस्थान पत्रिका, दैनिक भास्कर, अमर उजाला, नवभारत टाइम्स, दैनिक जागरण एवं लोकमत आदि समाचारपत्रों में रचनाएं प्रकाशित।अनेक ऑनलाइन पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। पुरस्कार : कादम्बिनी युवा व्यंग्य प्रतियोगिता 2004 , प्रथम पुरस्कार युद्धवीर स्मारक कहानी प्रतियोगिता 2004 , प्रथम पुरस्कार युद्धवीर स्मारक व्यंग्य प्रतियोगिता 2005 , 2007 , प्रथम एवं द्वितीय पुरस्कार युद्धवीर स्मारक कविता प्रतियोगिता 2008 प्रथम पुरस्कार युद्धवीर स्मारक लेख प्रतियोगिता 2009 एवं 2013 प्रथम एवं द्वितीय पुरस्कार महारानी झांसी पुरस्कार , 2015 , भारतीय संस्कृति निर्माण परिषद द्वारा अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल द्वारा आयोजित " आचार्य श्री महाश्रमण व्यक्तित्व एवं कृतित्व " निबंध प्रतियोगिता - द्वितीय पुरस्कार, 2012 अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद द्वारा आयोजित निबंध प्रतियोगिता " क्या कहता है जैन लोगों " में द्वितीय पुरस्कार प्राप्त । अणुव्रत समिति , नई दिल्ली द्वारा नशामुक्ति पर आयोजित निबंध प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार प्राप्त जैन विद्या विशारद परीक्षा तथा आगम मंथन प्रतियोगिता ( सूयगडो एवं दसवेआलियं ) में विशिष्ट पुरस्कार । कई अन्य लेख एवं पत्र पुरस्कृत । प्रकाशित कृति- ' मां की ममता ' कहानी-संग्रह, काव्य संग्रह एवं लघुकथा संग्रह प्रकाशन के क्रम में। विशेष- आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर काव्य पाठ, परिचर्चा में शामिल। संस्थाओं से संबद्धता : कादम्बिनी क्लब , हैदराबाद , संगोष्ठी संयोजिका सांझ के साथी साहित्य गरिमा पुरस्कार समिति , हैदराबाद अखिल भारतीय भाषा साहित्य सम्मेलन ,प्रयाग , आंध्र प्रदेश महिला विभाग , आजीवन सदस्य ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, नई दिल्ली, सदस्य अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन, सदस्य भारतीय जैन संघटना , महिला विभाग जैन श्वेताम्बर तेरापंथ महिला मंडल , हैदराबाद , आजीवन सदस्य जैन सेवा संघ , महिला विभाग , आजीवन सदस्य जैन वूमेन फोरम , हैदराबाद-सिकन्दराबाद मारवाड़ी महिला संगठन, आजीवन सदस्यता। अन्य अनेक साहित्यिक, सांस्कृतिक, सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं से संबद्धता। पूर्व सब एडिटर डेली हिन्दी मिलाप, हैदराबाद। सम्प्रति : फीचर एडिटर डेली 'शुभ लाभ', हैदराबाद Email :[email protected] Mob : 9177619181