आजादी संग मनेगी राखी
रतना का गुड़ा , देवगढ़ , राजसमंद
क्या अजीब संजोग मिला है ,
आजादी संग मनेगी राखी ।
तभी दिल में एक प्रश्न उठा है ,
क्या आजादी अभी है बाकी ।।
कलाई सजेगी राखी से और ,
तिरंगा गर्व से लहराएगा ।
भाई-बहन के प्रेम गीत और ,
हर व्यक्ति राष्ट्रगान गायेगा ।।
भाई देगा वचन बहना को ,
मरते दम तक रक्षा का ।
तिरंगा भी कर रहा पुकार ,
अपने देश की सुरक्षा का ।।
आजादी हम मना रहे है पर ,
इसके मायने भूल जाएंगे ।
दो दिन की देशभक्ति है ये ,
फिर पाप के रस्ते खुल जाएंगे ।।
आजाद देश का कटु सत्य ,
सुरक्षित, बहु ना बेटी है ।
सिर्फ दो दिन लहराता तिरंगा ,
फिर इसकी जगह भी पेटी है ।।
डर-डर कर जी रही बेटियां ,
जो राखी भाई के बांधती है ।
कैसे आजाद कहुँ में मित्रों ,
जब मर्यादा सीमा लाँघती है ।।
अपनी बहन , बहन होती है ,
फिर दूसरी क्यूँ पराई है ।
क्यों खेलता हैं जिंदगी से ,
मूर्ख ! तू भी किसका भाई है ।।
बलात्कार आम हो गए है ,
और हत्या भी कर लेते है ।
जीना दुश्वर हुआ बहनों का ,
तो क्यों आजाद भारत कहते है ।।
बहनों जैसा हाल धरा का ,
वो भी घुट-घुट कर जीती है ।
आंतक और प्रदूषण से ,
रोज खून के आँसू पीती है ।।
आम मनुष्य भी फंसा हुआ है ,
राजनीति के चक्रव्युह में ।
फिर कैसे आजाद है भारत ,
छल कपट के कलयुग में ।।
इस आजादी के खातिर ,
जो हंसकर फाँसी झूल गए ।
राजनीति के नुमाइंदे सब ,
उन देश भक्तों को भूल गए ।।
भूख के खातिर लटके रहे ,
किसान कर्ज से हार गए ।
कर्जमाफी का वादा कर ,
कुछ नेता धन डकार गए ।।
मिलकर रहना आगे बढना ,
भारत देश की शान है ।
हम सब है रखवाले वतन के ,
भारत हमारी जान है ।।
भाई-बहन के प्यार संग ,
आजादी का पर्व मनाएंगे ।
राखी और उपहार के संग ,
आजादी के गीत गाएंगे ।।
— जसवंत लाल खटीक