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कविताओं में देश-भक्ति और स्नेह की बही काव्य-धारा

मंडला—-स्वाधीनता दिवस और रक्षाबंधन की पूर्व संध्या पर लोकप्रिय वॉट्सएप ग्रुप ‘काव्य-आंगन परिवार’ के तत्वावधान में अखिल भारतीय कवि-सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस ऑनलाइन कार्यक्रम में देश-भक्ति तथा भाई-बहन के स्नेह पर उत्कृष्ट कविताएं पढ़ी गईं।
कार्यक्रम की मुख्य-अतिथि मुंबई की जानी-मानी कवियत्री रश्मि सिंह जी रहीं, जबकि अध्यक्षता आकाशवाणी, रायपुर के अवकाश-प्राप्त कार्यक्रम अधिकारी और सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. बृजेन्द्र वैद्य जी ने की। दैनिक जागरण, मेरठ के संपादक श्री जयप्रकाश पांडेय और सतना (मध्यप्रदेश) के वरिष्ठ पत्रकार निरंजन शर्मा के मार्गदर्शन में कार्यक्रम 14 अगस्त को शाम 7 बजे शुरू हुआ, जो देर रात तक चलता रहा। इस दौरान देश के मशहूर 22 कवि-कवयित्रियों ने काव्य-पाठ किया। कार्यक्रम का सफल संचालन रायपुर के जाने-माने कवि श्री प्रदीप सेनगुप्ता ने किया।
कार्यक्रम का आगाज़ देश की विख्यात कवयित्री अंजना सिंह सेंगर, नोएडा की राष्ट्र-भक्ति से ओतप्रोत कविता से हुआ। उन्होंने अपनी ओजस्वी वाणी से कहा-
‘मादरे हिंद को मिल-जुल के निखारा जाए,
देश का कर्ज़ जो हम पर है उतारा जाए।
नफ़रतें खत्म करो, आओ चलो ऐ लोगो,
मुल्क को प्यार-मुहब्बत से संवारा जाए।’
देश के जाने-माने लेखक-कवि प्रोफेसर शरद नारायण खरे जी ने उम्दा काव्य-पाठ किया। मण्डला (मध्यप्रदेश) के प्रो. खरे ने कहा-

‘”हिम्मत, ताक़त, शौर्य विहंसते, तीन रंग हर्षाए हैं,
संप्रभु हम, है राज हमारा, अंतर्मन मुस्काए हैं।
कुर्बानी के नगमे गाए, आज़ादी का वंदन है,
जज़्बातों की बगिया महकी, राष्ट्र-धर्म अभिनंदन है।'”

देश के जाने-माने गीतकार और पत्रकार राजकुमार धर द्विवेदी जी, रायपुर (छत्तीसगढ़) ने इस मौके पर अपने गीतों, मुक्तकों से महफ़िल को ऊंचाई दी। उन्होंने कहा-

देश में मां चाहती हैं सत्य, निष्ठा, नीति हो,
सब वचन अपना निभाएं, आज ऐसी रीति हो।
पुत्र हो श्रीराम जैसा चाहतीं मां शारदा,
बुद्धि, बल हो और विद्या, राष्ट्र से ही प्रीति हो।’

इस मौके पर छिंदवाड़ा (मध्यप्रदेश) की जानी-मानी कवयित्री दीपशिखा सागर ने राखी और देश पर बेहतरीन काव्य-पाठ किया। कुछ बानगी देखें-
‘रिमझिम सावन में रुनझुन आ गया जी,
प्रेम का त्योहार बड़ा, भावना की लूट है,
मीठी-मीठी नेह की चुहल करें भाई-भाई,
बहनों की ओर से भी आज पूरी छूट है।
—-
बहना ने भाई की कलाई पे जो बांधा है,
ये रेशम है कच्चा पर बंधन अटूट है।’
कानपुर (उत्तर प्रदेश) की जानी-मानी कवयित्री नीरा सिंह ने कश्मीर का सच बखूबी बयान किया। उन्होंने कहा-
‘भारत के मन का टुकड़ा ये सुंदर जम्मू-कश्मीर,
धाराओं का रुख बदला, बदलेगी अब हर तस्वीर।’
कश्मीर की स्थिति और अनुच्छेद 370 के खात्मे पर खूबसूरत रचना पढ़ी जाने-माने कवि श्री प्रदीप सेनगुप्ता जी ने। उन्होंने कहा-
‘धरती   हंसी,  देश मुस्काया,
तीन सौ सत्तर तेरे अवसान पर,
लहराया तिरंगा, बिखरी छटा,
माँ  शारदे  तेरे  ग्राम   पर,
इठलाया देश, भरी हुंकार,
कहा नहीं अब   इंतजार,
बहुत हो चुकी अब तक देरी,
लेंगे  कश्मीर   पूरी   पूरी,
भारत माँ के भाल पर,
कलंक था ये रोग पुराना,
कोढ़ बना था दशकों से,
अब्दुल्ला को नेहरू नजराना,

मोदी अमित की जोड़ी ने,
कठिन मर्ज  को पहचाना,
फहराया तिरंगा लाल चौक पर,
जहां  उसे   था   लहराना….’
इनके साथ ही अतर्रा (बांदा) की जानी-मानी कवयित्री प्रियंका त्रिपाठी ‘तरंग’, जयश्री त्रिवेदी, शहडोल, सरोज सिंह परिहार ‘सूरज’,  निर्मला सिंह परिहार, बघेली के हस्ताक्षर सीएस अकेला,  दीपा शुक्ला, जयंती शुक्ला, सतना,  अशोक श्रीवास्तव, प्रयागराज, राजेश जैन राही, रायपुर, वंदना गुप्ता, मुंबई, डॉ. रचना सिंह ‘रश्मि’, आगरा, अनिता मंदिलवार ‘सपना’, डॉ. पुष्पा सिंह ‘प्रेरणा’, पूनम दुबे, गीता द्विवेदी, सीमा तिवारी, अम्बिकापुर (छत्तीसगढ़) ने देश और राखी पर एक से बढ़कर एक रचनाएं पढ़ीं। अंत में आभार-प्रदर्शन मंच के एडमिन राजकुमार धर द्विवेदी ने किया।
प्रेषक- डॉ. नीलम खरे