तुम्ही कह दो “रावत” को क्या लिखूं
क्या भूख लिखूं या प्यास लिखूं या,
जातिवाद का जहर लिखूं ?
कह दो तुम्ही “रावत” कह दो,
क्या आजाद हिन्दुस्तान लिखूं?
देखो!कटोरा लेकर भीख मांगते,
क्या उन गरीबों के ऐशो-आराम लिखूं?
स्वागत-सत्कार में लाखों खर्च करवाते,
कैसे उन नेताओं के सेवा भाव लिखूं?
कलयुग मे भाई का वध भाई कर रहे,
कैसे उस भाई का प्यार लिखूं?
मित्रो! कह दो तुम्ही “रावत”से,
अब क्या रामायण का सार लिखूं?
सरेआम बहन-बेटियो पर ज्यादती होवें
तो क्या बहनों का मान-सम्मान लिखूं?
बहनों पर हो रहे अति अत्याचार… भाईयो!
तो क्या शुभ रक्षाबंधन का त्योंहार लिखूं?
रिश्वत देने पर काम हो होवें आम आदमी का,
कैसे उस अफसर का ईमान सेवा भाव लिखूं?
नित लूटपाट-डकैती हत्याऐं हो रही है…
क्या मेरा भारत देश बहुत महान लिखूं ?
मस्जिद ढहाकर अर मंदिर बन रहे…
तो अब क्या खुदा, क्या भगवान लिखूं ?
धर्म के नाम पर देखो हो रहे है दंगे,
क्या धर्म निरपेक्ष अपना हिन्दुस्तान लिखूं ?
बोर्डर पर हो रही हत्याऐं, सैन्य शहादत भी
उसे क्या अमन शांति का संकेत लिखूं ?
मुहं पर मीठा-प्रेम अर दिल मे द्वेष,
कैसे पड़ोसी मुल्क का सच्चा प्यार लिखूं?
चुनावों मे शराब चंद लालच से वोट बिकता,
तो नतीजो मे क्या निष्पक्ष वोट प्रयोग लिखूं?
अब ऐसी चुन ली सरकार आपने तो…
क्या इसे सफल लोकतंत्र का राज लिखूं ?
पढ़ाई डिग्री पाकर भी मजदूरी करते,
तो क्या उनकी पढाई का सार लिखूं ?
अब कह दो तुम्ही “रावत” से,
क्या उनकी नौकरी का इंतजार लिखूं?
दिनोंदिन बढ़ती जनसंख्या घटते साधन,
तो क्या परिवार नियोजन ही आधार लिखूं ?
हाल है दिन प्रतिदिन बढती बेरोजगारी,
अब कैसे विकासशील हिन्दुस्तान लिखूं ?
मित्रो! अब आप ही कह दो “रावत” से
एकजुट हो सब देशवासी, लड़ेगें हर समस्या से
तो फिर से विश्व पटल पर सुनहरा भारत देश लिखूं ।।
✍ फौजी साहब… रावत गर्ग ऊण्डू