राजनीति

लो कल्लो बात ! विलक्षण भाषण !!

अनुमान लगाइए यह भाषण किसने दिया होगा!

“हाल के दिनों में मैंने जो ट्वीट किये हैं, और पूरी दुनिया में जिसे फैलाने की कोशिश की है, वह है बीजेपी और नरेन्द्र मोदी की वास्तविकता। इन्होंने कश्मीर में जो किया है, उससे हम पर एक बहुत बड़ा संकट खड़ा हो गया है। दुनिया में मफ़ादात (ज़मीनें वगैरह) के जो झगड़े होते हैं, उनके हल कुछ और तरीके से निकलते हैं, लेकिन हमारी जंग अब एक आइडियोलॉजी से है। यह आइडियोलॉजी आरएसएस की है मोदी जिससे बचपन से ही जुड़ा हुआ है। यह आइडियोलॉजी एक फ़ासिस्ट आइडियोलॉजी है जो अपनी प्रेरणा हिटलर की नाज़ी आइडियोलॉजी से प्राप्त करती है। जैसे हिटलर की सोच थी कि जर्मन नस्ल दुनिया में सबसे श्रेष्ठ है, उसी तरह आरएसएस की सोच यह है कि हिन्दू एक सुपीरियर क़ौम है। मुसलमानों से वह नफरत करते हैं। उनका ख्याल है कि मुसलमान अगर उनके मुल्क में न आये होते और उन पर 600 साल हुक़ूमत न की होती, तो भारत इस समय दुनिया का अज़ीम मुल्क होता। इसी वजह से वह ईसाईयों से भी नफरत करते हैं। मुसलमानों की तो वह नस्ल ही ख़त्म कर देना चाहते हैं। जब तक आप यह आइडियोलॉजी नहीं समझ लेते, तब तक आप कश्मीर में जो हो रहा है, उसे नहीं समझ सकते। पाकिस्तान इसी आइडियोलॉजी की वजह से बना। गुजरात में 2002 में जो मुसलमानों का कत्लेआम हुआ जिसमें औरतों और बच्चों के साथ इन्तहाई ज़ुल्म हुए, उनके पीछे यही आइडियोलॉजी थी। इससे पहले बाबरी मस्जिद शहीद कर दी गयी। आजकल यह जो गौमांस खाने वालों की लिंचिंग वगैरह की घटनाएं हो रही हैं, वह इसी आइडियोलॉजी की वजह से हो रही हैं। कश्मीर में अब जो इन लोगों ने किया है, वह एक तरह से हिटलर के फाइनल सलूशन की तरह है। हम सभी इस बात को लेकर ख़ौफ़ज़दा हैं कि जब कश्मीर से कर्फ्यू हटेगा, तो वहाँ से क्या ख़बरें आएंगी। वहाँ लोगों पर क्या-क्या ज़ुलूमात हो रहे होंगे! हमारी जंग इस आरएसएस की आइडियोलॉजी से है। कश्मीर में आर्टिकल 370 खत्म करके मोदी ने एक बहुत बड़ी गलती की है; अब वह कश्मीर के मसले का अन्तर्राष्ट्रीयकरण नहीं रोक सकते। दुनिया देखेगी कि इस आइडियोलॉजी ने कश्मीरियों के साथ क्या-क्या ज़ुल्म किये, और मैं हलफ़ लेता हूँ कि मैं दुनिया को कश्मीर की हकीकत बताऊँगा; कश्मीर के लिए दुनिया में उसका एम्बेसडर मैं बनूँगा।”
“यह वह आइडियोलॉजी है जिसने पूरी दुनिया में तबाही मचायी है। मशरिक़ी दुनिया को इसके बारे में ज्यादा नहीं पता। वह समझते हैं कि भारत अभी भी वही पुराना सेक्युलरिज़्म, कर्म, निर्वाण वाला, ओपन सोसाइटी वाला सहिष्णु देश होगा, पर ऐसा नहीं है। इस आइडियोलॉजी ने तो देश के सम्विधान को रद्द किया, सुप्रीम कोर्ट और जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट के फैसलों की धज्जियाँ उड़ाईं, और इस तरह मुल्क को बरबादी की तरफ़ धकेल दिया। मुल्क में इस समय डर का माहौल है। कोर्ट के जज, विपक्ष के नेता और मीडिया के लोग दहशत में जी रहे हैं। मुसलमान तो ख़ौफ़ में हैं। यह ज्यादा दिन नहीं चल सकता। इसकी प्रतिक्रिया तो होगी। दुनिया में जहाँ कहीं किसी आबादी को इस तरह दबाया गया है, वहाँ रैडीकलाइज़ेशन हुआ है। भारत में भी होगा। आरएसएस का जिन्न अब बोतल से निकल गया है, अब यह वापस नहीं जाएगा। इसके बाद सिखों, ईसाईयों और दलितों पर ज़ुल्म होगा। मुल्क अब बर्बाद होकर रहेगा।”

सोचिए, यह भाषण कौन दे सकता है? राहुल गाँधी? ममता दीदी? अरविन्द केजरीवाल? असदुद्दीन ओवैसी? मणिशंकर अय्यर? दिग्विजय सिंह? पी चिदम्बरम? अखिलेश यादव? बहनजी? फ़ारूक़? ओमर अब्दुल्ला? महबूबा मुफ़्ती?

आप ठीक सोच रहे हैं। ऐसा भाषण इनमें से कोई भी दे सकता है। दरअसल इन सभी के मुँह से आपने ऐसी बातें कभी न कभी ज़रूर सुनी होंगी, पर यह भाषण दिया है पाकिस्तान के मौजूदा वज़ीरेआज़म इमरान खाँ ने। जगह थी मुज़फ़्फ़राबाद और मौक़ा था पाकिस्तान के यौमेआज़ादी (यानी 14 अगस्त 2019) का। तो वज़ीरेआज़म साहब अपने मुल्क की आज़ादी के दिन अपने मुल्क से मुख़ातिब थे। आम तौर पर पाकिस्तान के वज़ीरेआज़म यौमेआज़ादी के रोज़ अपनी रिआया से इस्लामाबाद के लाल किले जैसी किसी जगह से ख़िताब करते हैं, पर इमरान खाँ ने इस मौके पर मुज़फ़्फ़राबाद में पीओके की असेम्ब्ली से रूबरू होना ज़्यादा मुनासिब या शायद ज़्यादा महफूज़ समझा।

इमरान खाँ आगे कहते हैं कि आरएसएस का जिन्न यहीं नहीं रुकेगा। यह भारत से पाकिस्तान की ओर बढ़ेगा। मक़बूज़ा कश्मीर में जो कुछ यह कर रहे हैं, उससे दुनिया की नज़र हटाने के लिए यह अब पीओके पर हमला करेंगे। हमारे पास (इमरान खाँ के पास) पक्की जानकारी है: यह अब पीओके में, जिस तरह इन्होंने पुलवामा के बाद बालाकोट में ऐक्शन लिया था, उससे भी भयानक कार्रवाई करने जा रहे हैं, पर वह समझ लें कि अगर इन्होंने कोई ऐसी हिमाक़त की, तो ईंट का जवाब पत्थर से दिया जाएगा।
इसी तरह की दो-चार फ़ौरी किस्म की धमकियाँ देने, मुसलमानों की बहादुरी और लाइलाहाइलल्लाह के ज़िक्र के बाद इमरान ने एक बार फ़िर कश्मीर की नुमाइन्दगी यूएनओ की सिक्यूरिटी काउन्सिल और आईसीजे में शिद्दत के साथ करने का अपना क़ौल दुहराया, और अपनी लगभग 36 मिनट की तक़रीर ख़त्म की।

इमरान खाँ की इस तक़रीर में ध्यान देने की कई बातें हैं जिनमें से मुख्य निम्नलिखित हैं:
1. मौका मुल्क की यौमेआज़ादी का था, पर पूरी तक़रीर में एक बार भी पाकिस्तान और आज़ादी का ज़िक्र ही नहीं किया गया और पूरी तक़रीर मोदी और आरएसएस पर केंद्रित रखी गयी। ठीक यही तो अपने यहाँ के राहुलजी जैसे नेताओं का शगल है!
2. उन्होंने स्वीकार किया कि पुलवामा के बाद भारत ने बालाकोट में जवाबी कार्रवाई की थी।
3. उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि पाकिस्तान अपनी तरफ़ से कोई कार्रवाई नहीं करेगा (क्योंकि आक्रामक युद्ध इस्लाम के मूलभूत सिद्धांतों के ख़िलाफ़ है), और वह भारत के ख़िलाफ़ कुछ तभी करेगा जब हमले की कार्रवाई भारत की तरफ़ से हो। इस तरह उन्होंने कश्मीर की यथास्थिति को स्वीकार करने के संकेत दिये।
4. उन्होंने स्वीकार किया कि आक्रामक न होते हुए भी कश्मीर और कश्मीरियों की लड़ाई शान्तिपूर्ण तरीकों से अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर उसकी नुमाइन्दगी करते हुए लड़ते रहेंगे।

अब इस तक़रीर की तुलना करें मोदी के भाषण से जिसमें उन्होंने एक बार भी पाकिस्तान का नाम तक नहीं लिया, और अपनी पॉलिसी और कार्यक्रमों की बातें करते रहे, और एक बार फ़िर से अपने भाग्य पर इतराएं कि आपके प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी है, इमरान खाँ नहीं, और राहुलजी, ममता दीदी और उनकी बिरादरी के लोग भी नहीं।

— अनिल कुमार सिंह