गीत/नवगीत

छन्द मुक्त गीत

पनघट पर नित नन्द का छौना मोहे छेड़ के जावै री
मार कंकरिया मटकी फोरि, वो तो खूब सतावै री ।।
बीच बजरिया अँखिया मारे ,पकड़ कलइया मोरी
बनता कैसा ढीट तनिक भी नही लजावै री ।
घर-घर चोरी माखन करके खायो और खिंडायो
जग का नाथ कहायो गोकुल गैंया चरावै री ।
ऐसो  है चितचोर लिया है मेरा चित  चुराय
बंसी मधुर बजाय पायलिया छन-छनकावै री ।
सखियों सँग बरजोरि करे  कभी छेड़त गालों को
नैनन रहा मटकाय ,श्याम क्यों बाज न आवै री ।
वृंदावन की गली गली में लीला करता श्याम
राधा  का मनमीत है राधेश्याम कहावै री ।
छौना – बालक,बच्चा
बजरिया -बाजार
कंकरिया-मिट्टी का ढेला
चित्तचोर-मन का चैन चुराने वाला
बरजोरि-छेड़-छाड़
कहावै-कहलाना
रीना गोयल 

रीना गोयल

माता पिता -- श्रीओम प्रकाश बंसल ,श्रीमति सरोज बंसल पति -- श्री प्रदीप गोयल .... सफल व्यवसायी जन्म स्थान - सहारनपुर .....यू.पी. शिक्षा- बी .ऐ. आई .टी .आई. कटिंग &टेलरिंग निवास स्थान यमुनानगर (हरियाणा) रुचि-- विविध पुस्तकें पढने में रुचि,संगीत सुनना,गुनगुनाना, गज़ल पढना एंव लिखना पति व परिवार से सन्तुष्ट सरल ह्रदय ...आत्म निर्भर