मेरा गाँव मेरा सारा जहान् है
क्योंकि•••
गाँव की संस्कृति सबसे महान् है।
गाँव ही मेरी माँ है
तो•••
गाँव ही मेरे पिता हैं।
गाँव में ही मेरे भाई-बहन हैं
गाँव में ही मेरे अपनों का रहन-सहन है।
गाँव ही मुझे सबसे अधिक भाता है
क्योंकि•••
गाँव से ही मेरा सच्चा रिश्ता-नाता है।
गाँव है तो हम सब हैं
गाँव नहीं तो सब बेमतलब हैं।
गाँव ही मेरा सुखद जीवन है
तो•••
गाँव में ही मेरा सुंदर-सा उपवन है।
गाँव से ही मेरा सच्चा प्यार है
क्योंकि•••
गाँव में मिलता अपनों का दुलार है।
गाँव की महिमा अपरंपार है
जिसका पाया न किसी ने पारावार है।
गाँव ही मेरा इष्ट है
तो•••
गाँव ही मेरा अभिष्ट है।
गाँव में ही मेरी श्रद्धा है
क्योंकि•••
गाँव का जीवन सबसे अच्छा है।
गाँव से प्रेम ही मेरी पूजा है
और•••
गाँव के अलावा मेरा न कोई दूजा है।
गाँव ही मेरा ईश्वर है
तो•••
गाँव ही मेरे भजन का स्वर है।
सच्च कहूँ तो•••,
गाँव से ही मेरा नाम है
और•••
गाँव ही मेरी पहिचान है।
गाँव का जीवन अविराम है
गाँव ही तो है जहाँ सब में राम है।
गाँव सिर्फ गाँव नहीं है
अपितु,
गाँव ही मेरा चारों धाम है।।
— शम्भु प्रसाद भट्ट “स्नेहिल”