कविता

मेरा गाँव

मेरा गाँव मेरा सारा जहान् है
क्योंकि•••
गाँव की संस्कृति सबसे महान् है।
गाँव ही मेरी माँ है
तो•••
गाँव ही मेरे पिता हैं।
गाँव में ही मेरे भाई-बहन हैं
गाँव में ही मेरे अपनों का रहन-सहन है।
गाँव ही मुझे सबसे अधिक भाता है
क्योंकि•••
गाँव से ही मेरा सच्चा रिश्ता-नाता है।
गाँव है तो हम सब हैं
गाँव नहीं तो सब बेमतलब हैं।
गाँव ही मेरा सुखद जीवन है
तो•••
गाँव में ही मेरा सुंदर-सा उपवन है।
गाँव से ही मेरा सच्चा प्यार है
क्योंकि•••
गाँव में मिलता अपनों का दुलार है।
गाँव की महिमा अपरंपार है
जिसका पाया न किसी ने पारावार है।
गाँव ही मेरा इष्ट है
तो•••
गाँव ही मेरा अभिष्ट है।
गाँव में ही मेरी श्रद्धा है
क्योंकि•••
गाँव का जीवन सबसे अच्छा है।
गाँव से प्रेम ही मेरी पूजा है
और•••
गाँव के अलावा मेरा न कोई दूजा है।
गाँव ही मेरा ईश्वर है
तो•••
गाँव ही मेरे भजन का स्वर है।
सच्च कहूँ तो•••,
गाँव से ही मेरा नाम है
और•••
गाँव ही मेरी पहिचान है।
गाँव का जीवन अविराम है
गाँव ही तो है जहाँ सब में राम है।
गाँव सिर्फ गाँव नहीं है
अपितु,
गाँव ही मेरा चारों धाम है।।
शम्भु प्रसाद भट्ट “स्नेहिल”

शम्भु प्रसाद भट्ट 'स्नेहिल’

माता/पिता का नामः- स्व. श्रीमति सुभागा देवी/स्व. श्री केशवानन्द भट्ट जन्मतिथि/स्थानः-21 प्र0 आषाढ़, विक्रमीसंवत् 2018, ग्राम/पोस्ट-भट्टवाड़ी, (अगस्त्यमुनी), रूद्रप्रयाग, उत्तराखण्ड शिक्षाः-कला एवं विधि स्नातक, प्रशिक्षु कर्मकाण्ड ज्योतिषी रचनाऐंः-क. प्रकाशितःः- 01-भावना सिन्धु, 02-श्रीकार्तिकेय दर्शन 03-सोनाली बनाम सोने का गहना, ख. प्रकाशनार्थः- 01-स्वर्ण-सौन्दर्य, 02-गढ़वाल के पावन तीर्थ-पंचकेदार, आदि-आदि। ग. .विभिन्न क्षेत्रीय, राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की पत्र/पत्रिकाओं, पुस्तकों में लेख/रचनाऐं सतत प्रकाशित। सम्मानः-सरकारी/गैरसरकारी संस्थाओं द्वारा क्षेत्रीय, राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के तीन दर्जन भर से भी अधिक सम्मानोपाधियों/अलंकरणों से अलंकृत। सम्प्रतिः-राजकीय सेवा/विभिन्न विभागीय संवर्गीय संघों तथा सामाजिक संगठनों व समितियों में अहम् भूमिका पत्र व्यवहार का पताः-स्नेहिल साहित्य सदन, निकटः आंचल दुग्ध डैरी-उफल्डा, श्रीनगर, (जिला- पौड़ी), उत्तराखण्ड, डाक पिन कोड- 246401 मो.नं. 09760370593 ईमेल [email protected]