राजनीति

370 हटने के बाद जम्मू- कश्मीर में शांति का वातावरण

जम्मू-कश्मीर में धारा-370 और 35ए अब एक इतिहास बन चुका है। संसद ने कानून पारित किया और राष्ट्रपति ने अपनी अनुमति भी प्रदान कर दी है। अब जो कुछ अलगाववादी लोग इन अनुच्छेदों का उपयोग अपने निहित स्वार्थों के लिए किया करते थे वे अब सुप्रीम कोर्ट चले गये हैं, लेकिन अब उनकी वहां पर भी दाल नहीं गलने वाली है। जम्मू कश्मीर के जो परिवारवादी, स्वार्थी, अलगाववादी नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को बड़ी जनसभाओं में चेतावनी देते थे कि इन अनुच्छेदों को कभी भी हटाया नहीं जा सकता आज उन सभी के चेहरे से हवाइयां उड़ रही हैं। जो लोग सरकार को चुनौती दे रहे थे कि अगर इन धाराओं को हटाया गया तो घाटी में कोई तिरंगा फहराने वाला नहीं मिलेगा आज वे सभी हतप्रभ हैं। केंद्र सरकार व सुरक्षाबलों की जर्बदस्त रणनीति से आज अलगाववावादी नेताओं, पत्थरबाजों तथा दो-तीन परिवारवादी नेताओं की कश्मीर की धरती से जड़ें हिल चुकी हैं। यही कारण है कि ये लोग किसी न किसी प्रकार जम्मू कश्मीर राज्य का अमन चैन बिगाडने के लिए ताक पर बैठे हैं तथा ये भारत विरोधी ताकतें राज्य व देश के किसी भी हिस्से में झूठी अफवाहों के आधार पर हिंसा फैलाने व आतंकवाद को फिर जीवित करने का अवसर खोज रही हैं।
15 अगस्त बीत चुका है और जम्मू कश्मीर में खून की नदियां बहाने की धमकी देने वाले लोग चैंधियां रहे हैं तथा उनकी आंखें फटी की फटी रह गयी हैं कि आज पूरे जम्मू कश्मीर में तिरंगा फहराया गया है। जम्मू ही नहीं, अपितु पूरी घाटी में तिरंगा फहराया गया है। पूरी घाटी जश्न के आगोश में डूबी रही। पुलवामा, शोपियां, अनंतनाग सहित कश्मीर घाटी के सभी आतंकवाद प्रभावित क्षेत्रों में स्वतंत्रता दिवस पूरी आजादी के साथ मनाया गया। वहां के नागरिक हाथों में तिरंगा लेकर तथा वंदेमातरम के नारों के साथ फिल्मी धुनों के साथ थिरक रहे थे। अपने घर में नजरबंद उमर, महबूबा, सज्जाद लोन तथा शाह फैजल जैसे लोग टीवी पर यह नजारा देख रहे होंगे तब उनके दिल में क्या गुजर रही होगी समझा जा सकता है।
सभी धारायें हटने के बाद जम्मू कश्मीर में अभी शांति का वातावरण कायम है, हालांकि पाकिस्तान व उनके पाले हुए आतंकवादी तथा अलगाववादी शांति भंग करने का पूरा जोर लगाने का लगातार प्रयास कर रहे हैं। उनकी साजिशें लगातार जारी हैं। पाकिस्तानी प्रोपेगेंडा के साथ यहां के सभी भाजपा व संघ विरोधी दल व देशद्रोही ताकतें जिन्हें आस्तीन का सांप भी कहा जाता है की अब हवा निकल चुकी है तथा वे भी बेनकाब हो रहे हैं । अब जो लोग सरकार के कदमों का विरोध करेंगे अब उन्हें सीधे पाकिस्तान समर्थक तथा देशद्रोही ही नहीं अपितु उन्हें आतंकवादी व उनके संगठन को भी आतंकवादी संगठन घोषित कर प्रतिबंधित किया जा सकेगा। अब आतंकवादी संगठनों व पाकिस्तानी माडयूल्स के लोग इतनी आसानी से शांति भंग नहीं कर पायेंगे।
धाराओं के इतिहास बनने के बाद अब राज्य के सचिव का दावा है कि अब प्रदेश में पूरी तरह से शांति है, उसके बाद कहीं भी पत्थरबाजी नहीं हुई तथा एक भी गोली नहीं चली और न ही एक भी सैनिक अभी तक शहीद हुआ है। हालांकि आतंकवादी व अलगाववादी बड़े हमलों की साजिश रच रहे हैं लेकिन भारतीय सुरक्षा एजेंसियां तथा सेनाएं लगातार हाई एलर्ट पर हैं। सुरक्षा व्यवस्था लगातार चाक-चैबंद है। पाकिस्तान व चीन बड़ी चालाकी के साथ मामले को यूएनएससी ले गये तथा बंद कमरे में वार्ता चली, पर वहां पर भी ये लोग कुछ हासिल नहीं कर सके। यूएन की बैठक में भारत के प्रतनिधि ने अपना रुख एकदम स्पष्ट कर दिया और अब दोनों ही पड़ोसी विश्व बिरादरी में अलग-थलग पड़ चुके हैं। आज पूरी दुनिया में चीन और पाकिस्तान के साथ एक भी देश नहीं खड़ा है क्योंकि वैश्विक समुदाय को साफ पता चल चुका है कि दोनों की वास्तविकता क्या है। देश में पूर्ण बहुमत की मजबूत सरकार का असर अब भारत के अंदर ही नहीं पूरे विश्व में दिखलायी पड़ेगा।
अब यह साबित हो रहा है देश की फिजा बदल चुकी है। भारत की आजादी के 70 साल बीत चुके हैं। अब भारत में नेहरू की विचारधारा का शासन नहीं रहा। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत की मजबूत व कुशल रणनीतिकारों की सरकार है। यह सभी एक ऐसे कुशल रणनीतिकार हैं जिनकी नजरों से कुछ भी नहीं बचा है तथा उनके पास अब हर तरह की व्यवस्था है यह उनकी सफल रणनीति का ही हिस्सा रहा कि राज्यसभा में सरकार का बहुमत न होते हुए भी यह संकल्प और राज्य पुनर्गठन बिल दो तिहाई बहुमत से पारित हो गया। आज कांग्रेस को इसी बात का बेहद अफसोस है कि अब वह सरकार व मोदी जी के संकल्पों को रोक पाने विफल हो रही है। जब राज्यसभा में यह संकल्प आया था तब उसके अपने व्हिप चीफ संासद ने ही अपने दल व सांसदी से इस्तीफा दे दिया और उनके अपने चार सांसदों ने मतदान में भाग नहीं लिया। कांग्रेस की लोकसभा चुनावों के बाद यह सबसे बड़ी संसदीय हार है।
अलगाववादियों तथा कांग्रेस के नेताओं को उम्मीद थी कि अब कुछ होगा लेकिन भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और घाटी में मौजूद सुरक्षाबलों के जवानों ने राज्य की जनता को अमन का जो पैगाम दिया है उससे पूरा वातावरण ही बदल गया है। लेकिन घाटी का अमन चैन अभी भी पाकिस्तान व कांग्रेस पार्टी सहित कई्र लोगों को पसंद नहीं आ रहा है।
भारत सरकार की कुशल रणनीति के कारण आज पाकिस्तान वैश्विक मंचों पर अलग-थलग पड़ चुका है। वह बार-बार यूएन जाता है लेकिन उसे अब मात ही खानी पड़ रही है। घबराया और डरा हुआ पाकिस्तान जिसके आर्थिक हालात बहुत नाजुक है वह कुछ भी कर सकता है। अतः खुशी के वातवारण में कहीं रंग में भंग न पड़ जाये इसलिए अब और अधिक सतर्कता की आवश्यकता है। घर के अंदर के विरोधी लगातार साजिशें रच रहे होंगे तथा अवसर की ताक में होंगे। अभी यह भी समाचार आया है कि कम से कम दो सौ लेखकों तथा सांस्कृतिक क्षेत्रों में काम करने वाली हस्तियों ने लेख के माध्यम से सरकार के कदमों की कड़ी निंदा की है। यह वही असहिष्णु लोग हैं जो याकूब मेनन को फांसी देने का विरोध करते हैं। इन तथाकथित लोगों को भारत में रहने में डर लगता है। यह बात सही है कि आज पूरे देश में खुशी व आनंद का वातावरण व्याप्त है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह की जोड़ी ने वह काम कर दिखाया है जो पूरी तरह से असंभव था। सभी लोग कह रहे थे कि इन धाराओं को कभी हटाया ही नहीं जा सकता लेकिन इन दोनों की जोड़ी ने असंभव को संभव कर दिखाया हेै नामुमकिन भी मुमकिन हो रहा है।
आज पूरे भारत व जम्मू-कश्मीर की जनता को पीएम मोदी की नीतियों पर भरोसा हो रहा है यहां तक कि पूरे वैश्विक समुदाय को नरेंद्र मोदी पर भरोसा हो रहा है कि अब जम्मू-कश्मीर की धरती विकास के नये युग में प्रवेश करने जा रही है। अब वहां के लोगों का सामाजिक- आर्थिक विकास संभव होगा। बेटियां शिक्षित होंगी तथा तालिबानी फरमानों और तीन तलाक से आजादी मिलेगी। अब हमारे कश्मीर को देशविरोधी ताकतों की बुरी नजर न लगे तथा कश्मीर घाटी में विकास के एक नये सूरज का उदय हो यही ईश्वर से प्रार्थना है।
— मृत्युंजय दीक्षित