“मिट्टी मेरे गांव की”- बुन्देली काव्य संग्रह
“मिट्टी मेरे गांव की”- बुन्देली काव्य संग्रह:-
लेखिका – जयति जैन “नूतन”
प्रकाशक- श्वेतांशु प्रकाशन, नई दिल्ली
पृष्ठ- 104 पेज
मूल्य- 200 रुपये (ऑनलाइन उपलब्ध)
बुंदेलखंड में जन्मी लेखिका ने अपनी मातृभाषा में 104 पेज का बुन्देली काव्य संग्रह “मिट्टी मेरे गांव की” लिखा। लेखिका जयति जैन “नूतन”, हमेशा स्वतंत्र लेखन करती हैं। कई विधाओं में लिखने वाली लेखिका हमेशा सामाजिक मुद्दों पर अपनी बात बेबाकी से रखती हैं। इससे पहले उनकी दो लघु पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं और तीसरा एकल संग्रह वह अपने पाठकों के बीच लायीं हैं।
बुन्देली सिर्फ भाषा नहीं, बुंदेलखंड के लोगों की पहचान है। इसमें कोई दोराय नहीं कि हाल में ही प्रकाशित बुन्देली काव्य संग्रह “मिट्टी मेरे गांव की” इसका जीता जागता उदाहरण है। इस संग्रह में विभिन्न रसों से सजी बुंदेली कविताएं हैं। इस संग्रह की कई कविताएं आपको गुदगुदायेगीं, तो कई कविताएं आपको ग्रामीण जीवन से, वहां की सोच, परेशानियों से रूबरू करवाएगीं। बुंदेलखंडी भाषा जिसे बुंदेली भाषा भी कहते हैं यह एक लयबद्ध भाषा है, जिसकारण इसमें हैं, थे जैसे शब्द नहीं मिलते।
लेखिका के अनुसार – “बुन्देली हम बुंदेलखंडी लोगों की पहचान है। इस संग्रह की खास बात यह है कि इसमें मैंने शब्दावली दे रखी है, जिससे सभी हिंदीभाषी आसानी से इसे पढ़ सकेगें।”
लेखिका अपनी बात पर खरी उतरीं, इस संग्रह के अंत में शब्दावली दी गयी है जिससे आप इसे बिना परेशानी के पढ़ सकते हैं।
यह संग्रह श्वेतांशु प्रकाशन, नई दिल्ली से प्रकाशित हुआ है और आप सभी के लिए यह फिल्पकार्ट (ऑनलाइन वेवसाइट ) पर उपलब्ध है।