लघुकथा

दाम

उन सबके मुख पर गुस्सा यूँ खदबदा रहा था, मानों अभी वहाँ से लावे की धार फूट पड़ेगी और मिस्टर बंसल को जला कर भस्म कर देगी ।

” इसीलिए तो कहते हैं भाई साहब ! लड़कियों को लड़कों के साथ कॉलेज भेजना ठीक नहीं। दूसरी जात बिरादरी से लड़के चुन लेती हैं और अपनी जात बिरादरी में अपने माँ बाप का नाम खराब करती हैं ।”

“लेकिन गुप्ता जी! यह लड़का हमारी लड़की ने कालेज में पसंद नहीं किया है। इसे तो हमने मैरिज ब्यूरो के द्वारा सब देखभाल कर खुद पसंद किया है।”

“हे भगवान! आपको  भी ये नए उम्र के लड़के-लड़कियों की तरह मॉडर्न बनने का शौक चर्राया है क्या ? हमारी बिरादरी में क्या लड़कों का अकाल पड़ गया है भाई साहब !”

“नहीं ! लेकिन उनके दाम बहुत बढ़ गए हैं ।”

— शोभना श्याम

शोभना श्याम

जन्मतिथि - 18 जनवरी, मेरठ शिक्षा - एम.ए.(हिंदी), बी.एड. व्यवसाय – कला( पेंटिंग ) अध्यापन एवं अनुवाद प्रकाशित पुस्तकें- काव्य संग्रह-- ‘सुबह की पलकों पर’ हिंदी अकादमी से प्रकाशित , लघुकथा संग्रह -- ‘बिखरने से पहले तथा पकना एक कहानी का देश के विभिन्न शहरों तथा लन्दन ,थाईलैंड, कम्बोडिया,ताशकंद, आदि देशों के काव्य-मंचों और गोष्ठियों में कविता पाठ एवं मंच संचालन आकाशवाणी दिल्ली से कविताओं कहानियों तथा वार्ताओं का नियमित प्रसारण विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लघुकथा ,कहानी , मुक्त छंद कविता , गीत , गजल , दोहा ,माहिया , हाइकू , संस्मरण , आलेख आदि विभिन्न पुरुस्कार एवं सम्मान मो. –9953235840 ईमेल - [email protected]