नींव
अगर इमारत ऊँची करनी
गहरी नींव बनाओ तुम ।
लेकर सीख यही पेड़ों से,
श्रद्धा से जुट जाओ तुम ।।१।।
लक्ष्य बनें जीवन का ऊँचा ,
और ध्येय बन सके महान।
धीर और गंभीर बनें हम,
युक्ति यही है बस श्रीमान ।।२।।
छोटी छोटी बातें जितनी,
मन में हम ले आयेंगे ।
इसपर ध्यान नहीं देंगे,
तो उतना ही घबरायेंगे ।।३।।
करना हो निर्माण भवन ,
तो नींव खोदनी पड़ती है।
एक मज़बूत नींव पर ही,
एक बड़ी इमारत बनती है ।।४।।
व्यक्तित्व निर्माण हेतु हमको,
भगीरथ प्रयास करना होगा ।
ज्ञान और चिन्तन , चरित्र,
सुगठित सशक्त करना होगा ।।५।।
गहरी नींव भवन को जैसे,
तूफ़ानों से बचाती है ।
आँधी व तूफ़ान के झटकों,
को भी सह ले जाती है ।।६।।
साधना स्वाध्याय संयम सेवा,
जब जीवन में आ जाता है ।
सुद्धृढ़ मनोबल तब व्यक्तित्व का
मज़बूत नींव बन जाता है ।।७।।
आयें गुरु की कृपा प्राप्तकर,
हम अपना कल्याण करें ।
व्यक्तित्व की मज़बूत नींव पर,
जीवन का उत्थान करें ।।८।।
— शशिकांत त्रिपाठी