रूठी हुई राधा को कैसे मनाऊँ
श्याम बांसुरी की धुन तुम सुनाया करो
प्यारी राधा को यूँ न तुम सताया करो।
राधा के रूह और मन में समाये
कृष्ण के नाम की मेंहदी रचाये,
मुझे तन-मन में ऐसे न बसाया करो
प्यारी राधा को यूँ न तुम सताया करो।
कब से मैं खड़ी तेरी राह निहारूँ
तेरी यादों को मैं मन में बसाऊँ,
मेरी बातों से यूँ न मुस्कराया करो
प्यारी राधा को यूँ न तुम सताया करो।
बिरह में डूबी राधिका प्यारी
देर से क्यों आये कृष्णमुरारी,
कान्हा राधा के मन को लुभाया करो
प्यारी राधा को यूँ न तुम सताया करो।
रास रचाये रहीं सखियाँ सारी
नाच रही आज राधिका प्यारी,
प्यार की मधुर धुन बजाया करो
प्यारी राधा को यूँ न तुम सताया करो।
रूठी हुई राधा को कैसे मनाऊँ
मन मंदिर में तेरे सपने सजाऊँ,
बैठ मेरे पास आँसू बहाया न करो
प्यारी राधा को यूँ न तुम सताया करो।
सोचता मैं तेरे साथ वक्त बिताऊँ
तेरे बगैर अब मैं जी भी न पाऊँ,
इन अधरों से थोड़ा मुस्कराया करो
प्यारी राधा को यूँ न तुम सताया करो।
— सुमन अग्रवाल “सागरिका”
आगरा