फिक्र
कहना बहुत आसान है तनिक फिक्र न करो.
जैसे सब कुछ सहो फिर कहो जिक्र न करो.
फिक्र इंसान की अनचाही मानसिक फितरत है.
उससे मुक्त हो सकें नहीं सबमें इतनी कूव्वत है.
फिक्र दूर करने की कवायद का नतीजा है दुनिया.
चल अचल सब कुछ नश्वर है समझा गए हैं गुनिया.
पर इंसान संग्रह से बाज नहीं आता है.
वैसे उसे पता है कि आखिर में साथ कुछ नहीं जाता है
— उमेश शुक्ल