दर्द
अब्र ए दर्द जब दिल पर घुमड़ आते हैं.
लाख रोके कोई पलकों को नम कर जाते हैं.
बहुत मुश्किल है दीवार ए सब्र को महफूज रखना.
दर्द बेइंतहा हो तो कांच से बिखर जाते हैं
बहुत सोचा कि दिल की बात दिल में ही रहे
तेरी चाहत का जादू ऐसा लब खुद ही थिरक जाते हैं
— उमेश शुक्ल