कविता

हास्य गलतफहमियाँ

बदल गये चेहरे लोगों के
बढ़ती गई गलतफहमियाँ
लड़के की चाल मतवाली
कानों में पहने बालियाँ
लडकियों ने लगाई
बुलेट पर धाक
बन रही है नई बातें
शक्लें धोखा खा जायेगी
नजरिये से न पहचान पायेंगे ।
ऐसे ही इक दिन
सड़क पर दनदनाती बुलेट पर
लड़की निकली आगे
हम रहे हक्के बक्के से
आगे पीछे ताके
फैशन की है लगी वाट
लड़के को लगा हेयरस्टाईल का चस्का
अंकल भी न रहे पीछे
लम्बे बालों को शेम्पू पर
चलते जुल्फें झटकते
पीछे पडे़ मवाली
देख अंकल को आगे से भागे
ऐसे सरपट
अगले जन्मों तक
छेडे़गें न लड़की
लिये कई थे वादे ।
हाय री फैशन तुने
क्या क्या जुल्म करवाये।

अल्पना हर्ष

अल्पना हर्ष

जन्मतिथी 24/6/1976 शिक्षा - एम फिल इतिहास ,एम .ए इतिहास ,समाजशास्त्र , बी. एड पिता श्री अशोक व्यास माता हेमलता व्यास पति डा. मनोज हर्ष प्रकाशित कृतियाँ - दीपशिखा, शब्द गंगा, अनकहे जज्बात (साझा काव्यसंंग्रह ) समाचारपत्रों मे लघुकथायें व कविताएँ प्रकाशित (लोकजंग, जनसेवा मेल, शिखर विजय, दैनिक सीमा किरण, नवप्रदेश , हमारा मैट्रौ इत्यादि में ) मोबाईल न. 9982109138 e.mail id - [email protected] बीकानेर, राजस्थान