अधूरापन
मैं अक़्सर सुनता हूँ तुम्हारा ये शिकायती लहजा जब तुम मुझे बताती हो कि तुमने बहुत बार प्रेमियों को अपनी प्रेमिकाओं से ये कहते हुए सुना है कि तुम बिन मैं अधूरा हूँ, तुम मिल जाओ तो पूरा हो जाऊँ और तुम ना मिलो तो जी ना पाऊँ। तुम शायद उम्मीद करती होगी मुझसे भी यही सब सुनने की, और तुम्हारी ये उम्मीद वाजिब भी है।
पर मैं तुमसे बस यही कहता रहता हूँ कि ज़िंदगी कट रही थी तुमसे पहले भी और ज़िंदगी कट जाएगी तुम्हारे बाद भी। ये जीने मरने के वादे, ये कभी ना भूलने की कसमें, ये सब जाने क्यों मुझे बेमानी से लगते हैं।
पर ऐसा नही है कि मुझे तुमसे प्यार नही है। अगर प्यार नापने का कोई पैमाना होता है तो मैं तुम्हें यकीन दिलाता हूँ कि उस पैमाने की सबसे ऊँची वाली लकीर तक पहुँचने वालों की फ़ेहरिश्त में तुम्हें मेरा नाम जरूर मिलेगा।
अगर आम प्रचलित भाषा में कहूँ तो मुझे भी तुमसे मिलना है बिछड़ना नही है, मुझे भी तुमसे दूर नही रहना तुम्हारे बहुत करीब रहना है, मुझे भी अकेले रोना नही तुम्हारे साथ हँसना है, मुझे भी तड़प के मरना नही तुम्हारे साथ खुल के जीना है।
मुझे नही पता कि मैं तुम्हारे बिना कैसे और कितना जी पाऊंगा पर इतना बता दूँ कि जब तुमसे पहली बार मिला था, तभी तुम्हारा एक हिस्सा अपने साथ ले आया था। क्योंकि उसके बाद तुम हमेशा के लिए मेरे ज़हन में समा गयी थी। हर वक़्त तुम्हारा ख़्याल, तुमसे पहली बार मिलने की वो ख़ुशी, तुम्हारी आँखें, तुम्हारा चेहरा, तुम्हारी बातें, वो सब हमेशा मेरे साथ ही रहे।
पता नही क्यों ऐसा होता है कि कोई किसी से कुछ वक़्त ना मिले तो अधूरा हो जाता है, बल्कि मुझे तो लगता है तुमसे पहली बार मिलके ही मैं पूरा हो गया और साथ साथ तुमको भी ले आया। यानि की मैं ख़ुद से भी ज्यादा हो गया।
अब मैं जब भी तुमसे मिलता हूँ तो थोड़ा सा और तुम्हें अपने साथ ले आता हूँ। अब मुझे अधूरा होने का कोई लक्षण ख़ुद में दिखायी नही देता।
मैं सोचता हूँ शायद तुम्हारे साथ भी ऐसा होता होगा। शायद तुम भी थोड़ा सा मुझे अपने साथ ले जाती होगी। पर मुझे ये कभी महसूस नही हुआ कि मैं अधूरा हूँ, और शायद तुम्हे भी कुछ ऐसा एहसास नही होता होगा।
मुझे अब भी ऐसा लगता है कि प्रेम होना ही अपने आप में पूरा हो जाना है। जब प्रेम नही था तब तक हम पूर्ण नही थे। अब हमारे साथ प्रेम है तो हम सम्पूर्ण हैं।
इन सभी बातों से परे जो एक बात मैं तुम्हे कहना चाहता हूँ वो ये कि मैं तुम्हारे साथ हूँ या नही, तुम्हारे पास हूँ या नही, मैं कभी भी अधूरा नही रहूँगा। क्योंकि तुम पहले ही मुझमें बस कर मुझे पूरा कर चुकी हो।
या यूँ कहूँ मैं पूरे से भी ज्यादा हो चुका हूँ…
— अमित ‘मौन’