बधाई हो बधाई !!!
आज 10 सितम्बर है । हर तारीख इतिहास में एक विशेष महत्व रखती है । 10 सितम्बर के साथ भी ऐसा ही है । 10 सितम्बर को ही प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी और वरिष्ठ भारतीय राजनेता पंडित गोविन्द बल्लभ पन्त जी का भी जन्मदिन है । वे उत्तर प्रदेश राज्य के प्रथम मुख्य मन्त्री और भारत के चौथे गृहमंत्री थे । सन 1955 में उन्हें भारतरत्न से सम्मानित किया गया । गृहमंत्री के रूप में उनका मुख्य योगदान भारत को भाषा के अनुसार राज्यों में विभक्त करना तथा हिन्दी को भारत की राजभाषा के रूप में प्रतिष्ठित करना था । इसके साथ ही 10 सितम्बर की तारीख का मेरे लिए एक विशेष महत्व और है ।
आज ही के दिन 1946 में तब के अखंड भारत और अब पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में हमारी श्रद्धेय बहनजी का अवतरण इस धरा पर हुआ था । शायद आप लोग समझ गए होंगे । जी हाँ ! मैं ज़िक्र कर रहा हूँ सुप्रसिद्ध लेखिका, कवयित्री और शिक्षा को समर्पित हमारी, आपकी और सभी पाठकों की आदरणीय श्रद्धेय बहनजी श्रीमती लीला लखमीचंद तिवानीजी का ।
आज आपका जन्मदिन है । आज आपके इस गरिमामय और बेहद कामयाब जीवन प्रवास के 73 साल पूर्ण होने की ख़ुशी में हम सभी पाठक, लेखक, कामेंटेटर तथा शुभचिंतक आपके व आपके परिजनों की ख़ुशी में सहभागी हैं । हम सभी की तरफ से आपको जन्मदिवस की कोटिशः शुभकामनाएं ! ईश्वर प्रदत्त खुशी के इस पावन मौके पर ईश्वर से प्रार्थना है कि वह आपका वरदहस्त सदैव हम नव रचनाकारों के सिर पर बनाये रखे । आप सदैव स्वस्थ व प्रसन्न रहें तथा अपनी सकारात्मक रचनाओं से समाज में व्याप्त नकारात्मकता को हटाकर उत्साहपूर्वक उम्मीद का दीपक जलाती रहें , दुःखी व निराश जनों का पथ प्रदर्शन करती रहें ! जन्मदिवस की पुनः पुनः बधाई व शुभकामनाएँ श्रद्धेय बहनजी !
आपकी कल्पनाशीलता , विद्वत्ता व सृजनशीलता के साथ ही आपके ब्लॉग के माध्यम से मुझे आपके संपर्क में आये लगभग तीन साल से अधिक का समय बीत चुका है लेकिन लगता है जैसे अभी कुछ दिनों पहले की ही बात है । उम्र के इस पड़ाव पर लेखन के प्रति आपकी प्रतिबद्धिता देखते ही बनती है । आज भी नवभारत टाइम्स जैसे प्रतिष्ठित अखबार में आपका अपने ब्लॉग ‘ रसलीला ‘ में नियमित रूप से एक या उससे अधिक रचनाओं का सृजन करके उन्हें पोस्ट करना लेखन के प्रति आपके जूनून को दर्शाता है । लेखन भी असाधारण , सकारात्मकता , आदर्शों व मानवीयता से भरपूर होता है । आपकी कई रचनाएँ समाज को दिशा प्रदान करने तथा नैराश्य भाव त्याग कर नए उत्साह का संचार करने में भी सहायक सिद्ध हुई हैं । आपकी सभी रचनाओं के पात्र आपके और हमारे इर्दगिर्द रहने वाले वो लोग होते हैं जिनसे हम प्रेरणा ले सकें ।
एक उम्दा रचनाकार होने के साथ ही आप पाठकों को भी रचनाकार बनाने की अद्भुत क्षमता रखती हैं । आदरणीय गुरमैल भामरा जी इसके सबसे बड़े व सशक्त प्रमाण हैं । आदरणीय भाईसाहब ने दो वर्ष के अंतराल में 200 किश्तों की अपनी आत्मकथा एक लाजवाब श्रंखला ‘ मेरी कहानी ‘ के रूप में सबसे पहले प्रतिष्ठित पत्रिका जय विजय में लिखी और अब फेसबुक पर कई साहित्यिक मंचों पर सक्रीय हैं और उनकी लिखी आत्मकथा की प्रतीक्षा पाठक सदैव करते रहते हैं । साहित्य प्रहरी , अनुपम हिंदी साहित्य के बाद अब उनकी लिखी आत्मकथा सार्थक साहित्य मंच पर धूम मचा रही है । उनके इस आत्मकथा को आपने सहृदयता पूर्वक इ बुक्स के रूप में भी तब्दील किया है । उनकी इस सफलता के पीछे बेशक आदरणीय भाईसाहब की काबिलियत का बड़ा हाथ है लेकिन उनकी इस छिपी हुई प्रतिभा को पहचानकर उसे तराश कर उचित स्थान दिलाने के पीछे सिर्फ और सिर्फ आपका ही हाथ है । आदरणीय गुरमैल जी भाईसाहब हमेशा एक बात कहते हैं आपके बारे में ‘ आप वो पारस पत्थर हो जो लोहे को सोना बनाने की सामर्थ्य रखता है ‘ मैं उनके इस कथन से शतप्रतिशत सहमत हूँ ! आपने इस कथन की सत्यता को अपने कार्यों से प्रमाणित किया है ।
लेखन में आपके सकारात्मक रवैये पर आपके मिलनसार व सर्वसमावेशी स्वभाव का भरपूर असर साफ परिलक्षित होता है ।
अपने संपर्क में आये हुए लोगों के हर सुख दुख में सहभागी होकर सबको अपना बनाने की आपकी बेजोड़ कुशलता से कौन अपरिचित है ?
चाहे गुरमैल भाई साहब को जन्मदिवस व शादी के वर्षगांठ की शुभकामनाएं देनी हों चाहे सूर्य भान भान जी को जन्मदिवस की बधाइयां या फिर रविंदर भाई जी को जन्मदिवस की शुभकामनाएं देनी हो या फिर आपके संपर्क में जो कोई भी हो उससे गहरे जुड़कर उसकी खुशी में शामिल होकर अपने समृद्ध शब्द भंडार से चुने हुए शब्द रूपी मोतियों से अलंकृत शब्दमाला अर्थात ब्लॉग का अनमोल व अनुपम उपहार उसे देना नहीं भूलती हैं । किसी अजनबी को भी अपना बना लेने व सदैव अपना बनाये रखने का आपका यह विशेष गुर अनुकरणीय है ।
मानवीयता से ओतप्रोत सद्भाव , स्नेह , ममता व कर्तव्य परायणता आपको विरासत में ही मिला है जिसे आप अपने कर्मयोगी स्वभाव से बड़ी अच्छी तरह संभालते हुए उसका अपनी अनुपम रचनाओं द्वारा प्रचार व प्रसार के लिए सदैव ही प्रयासरत रहती हैं । आपकी सकारात्मक रचनाएं समाज में एक नई दिशा , उत्साह व नवचैतन्य की वाहक होती हैं ।
इन सब जिम्मेदारियों को पूरा करते हुए बहनजी अपनी पारिवारिक ,व सामाजिक ज़िम्मेदारियों का भी निर्वाहन भली भांति करती हैं । एक आदर्श लेखिका के साथ ही आप आज भी एक अप्रतिम शिक्षिका हैं । आपके शिक्षण शैली के मुरीद आपके सभी छात्र अपने आपको सौभाग्यशाली समझते होंगे जिन्हें आप जैसा शिक्षक मिला हो । आपकी प्रोत्साहित करनेवाली प्रतिक्रियाएं आपके छात्रों में वो चाहे आपके विद्यार्थी रहे हों अथवा नवोदित रचनाकार एक नवचैतन्य का निर्माण कर देती हैं । प्रोत्साहन से एक जादू सा हो जाता है । इसके बारे में आप ही के शब्दों में
” एक शिक्षिका होने के कारण मैं प्रोत्साहन के जादू से भलीभांति परिचित हूं. इसी प्रोत्साहन के बल पर मेरे अनेक छात्र-छात्राएं अपने व्यवसाय के साथ-साथ जाने-माने लेखक व कलाकार बन सके हैं. बस किसी के खास हुनर को पहचानकर थोड़ा-सा प्रोत्साहन और बड़ा-सा परिणाम, यही है ”प्रोत्साहन का जादू” ।
कितना सटीक व सार्थक है आपका अनुमान इस प्रोत्साहन के जादू के बारे में यह आपके प्रोत्साहन से उपजे नवोदित लेखकों जैसे गुरमैल जी , सूर्य भान भान जी , रविंदर जी की अनुपम रचनाओं की उत्कृष्टता को देखकर पता चलता है । मेरे लेखन का तो अस्तित्व ही आपके प्रोत्साहन से है । आज अपना ब्लॉग पर आपके सान्निध्य में आदरणीय सुदर्शन जी , चंचल जैन जी , जीवन चमोली जी जैसी प्रतिभाओं से रूबरू होकर अपना ब्लॉग पर आना सार्थक लगने लगता है ।
पिछले साल इसी मौके पर हमने आपको बहनजी के एक नायाब और अजेय कीर्तिमान के बारे में बताया था । उस लेख के अनुसार उस दिन तक यानि 10 सितंबर 2018 तक बहनजी के 1775 ब्लॉग्स आपके प्रिय अखबार नभाटा के अपना ब्लॉग में प्रकाशित हो चुके थे । आप लोग लेखन के प्रति उनके समर्पण भावना और लगन की तारीफ़ किये बिना नहीं रहेंगे जब यह जान जायेंगे कि आज उनके ब्लॉग्स की संख्या 2320 को पार कर चुकी है । है ना हैरान कर देने वाला करतब ! एक साल में लगभग 550 ब्लॉग्स की बढ़ोत्तरी लेखन के प्रति आपका जूनून ही तो दर्शा रहा है ।
ईतना ही नहीं बहनजी की रचनाएं सिर्फ संख्या की दृष्टि से ही नहीं बल्कि उत्कृष्टता के पैमाने पर खरी उतरती हैं तभी तो उनकी रचनाएं सदैव ही सबसे चर्चित ब्लॉग्स में मौजूद रहती हैं ।
आदरणीय बहनजी फेसबुक के कुछ साहित्यिक मंचों पर भी सक्रिय रहती हैं और नित नए सृजन अनवरत उनकी लेखनी से निर्झरित होते रहते हैं ।
बहनजी का लेखन सिर्फ यहीं तक नहीं सीमित है जय विजय में भी आपका सक्रिय लेखन अनवरत जारी है ! जय विजय पत्रिका में भी आप अपनी 1302 रचनाओं के साथ शीर्ष रचनाकारों के साथ विराजमान हैं । जय विजय मासिक पत्रिका आपकी उपस्थिति के बिना अधूरी ही लगेगी । वैसे यह नौबत कभी नहीं आई जब उस मासिक पत्रिका में आपकी कोई रचना नहीं हो । अपने आप में यह भी एक बड़ी उपलब्धि है । इसके लिए बधाई देते हुए एक बार पुनः आपको हृदय से जन्मदिवस की हार्दिक बधाइयां व शुभकामनाएं !
धन्यवाद !
( श्रद्धेय आदरणीया बहनजी को उनके जन्मदिवस के सुअवसर पर कोटिशः शुभकामनाओं सहित समर्पित रचना ! )