कविता

सबकुछ हैं वो

क्या होती है माँ
वो माँ से पूछो
क्या होता है पिता
वो एक पिता से पूछो |
खुद के सपनों को
चकनाचूर करके
तुमको क्या क्या दिया
जरा मुङकर तो देखो ||
तुम अपने ही ख्वाबों में
डूबे हो
अपनी शौक के खातिर
ही जिद् करते हो
जरा उनके अरमानों को
उनके दिल पर हाथ
रखकर तो देखो |
कैसा दिल होता है उनका
जरा खुद को उनमें
ढालकर तो देखो ||
   माँ-पिता ने तुमसे
कितने आसरे लगाए होंगे
कभी खुद भी
इसपर सोचकर तो देखो |
कितने अपने हौंसलों को
आग देकर उन्होंने
तुमको उजाले में
ला खङा किया है
ये जरा खुद में
झाँककर तो देखो ||
— शिवम अन्तापुरिया

शिवम अन्तापुरिया

पूरा नाम शिवम अन्तापुरिया राम प्रसाद सिंह "आशा" उत्तर प्रदेश के जिला कानपुर देहात के अन्तापुर में 07/07/1998 को जन्म हुआ एक काव्य संग्रह प्रकाशित "राहों हवाओं में मन" दूसरी किताब पर लेखन शुरू दुनियां के सबसे बड़े काव्य संग्रह "बज़्म ए हिन्द" में प्रकाशित मेरी रचना "समस्याओं ने घेरा" राष्ट्र गौरव सम्मान नई कलम सम्मान कवि सम्मेलनों में सम्मानित अमेरिका, कनाडा सहित देश के दैनिक जागरण,अमर उजाला से लेकर देश छोटे बड़े लगभग (रोज 4-5) प्रदेश के सभी अखबारों में प्रकाशित होती रहती हैं रचनाएं "शिक्षा के शुरूआत से ही लेखन की ओर दिल झुकता गया" "सस्ती होती शोहरते गर इस जमाने में लोग लिए फ़िरते शोहरते हर घराने में" तेरे कदमों के आने के मेरे कदमों के जाने के बनें हैं पग जमीं पर जो निशां हैं वो मिटाने के....

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