कविता

झोंझ

कितना सुन्दर घर है
जिसको कहते झोंझ हैं
तिनका-तिनका चुनकरके
खूब सजाती झोंझ है

जरा सहारा डाल का
ईंट गारा सूखे-साखे
खरपतवार का
बड़ी लगन और मेहनत
से कर डाला
निर्माण है झोंझ का

कितना
सुन्दर कितना
मनमोहक है
बनता जाता झोंझ
है जुगनूँ की मिट्टी
से देखो चमक
भी उठता
झोंझ है

रंग बिरंगे
नील गगन
में खाते
रहता गोते है
जरा सहारे
एक लकड़ी के
झूमता रहता
झोंझ है

— शिवम अन्तापुरिया

शिवम अन्तापुरिया

पूरा नाम शिवम अन्तापुरिया राम प्रसाद सिंह "आशा" उत्तर प्रदेश के जिला कानपुर देहात के अन्तापुर में 07/07/1998 को जन्म हुआ एक काव्य संग्रह प्रकाशित "राहों हवाओं में मन" दूसरी किताब पर लेखन शुरू दुनियां के सबसे बड़े काव्य संग्रह "बज़्म ए हिन्द" में प्रकाशित मेरी रचना "समस्याओं ने घेरा" राष्ट्र गौरव सम्मान नई कलम सम्मान कवि सम्मेलनों में सम्मानित अमेरिका, कनाडा सहित देश के दैनिक जागरण,अमर उजाला से लेकर देश छोटे बड़े लगभग (रोज 4-5) प्रदेश के सभी अखबारों में प्रकाशित होती रहती हैं रचनाएं "शिक्षा के शुरूआत से ही लेखन की ओर दिल झुकता गया" "सस्ती होती शोहरते गर इस जमाने में लोग लिए फ़िरते शोहरते हर घराने में" तेरे कदमों के आने के मेरे कदमों के जाने के बनें हैं पग जमीं पर जो निशां हैं वो मिटाने के....