कविता

हिंदी दिवस

भावों के शुभ संप्रेषण हित
मैं इसका आभारी हूं ।
मातृभाषा हिंदी मेरी , मैं
हिंदी का व्यवहारी हूं ।।

हिंदी ही इतिहास मेरा
हिंदी ही मेरा भविष्य है
इसका रंगों से सराबोर
मेरा सारा परिदृश्य है

एक दिवस की साध नहीं
मैं इसका नित्य पुजारी हूं
मातृभाषा हिंदी मेरी , मैं
हिंदी का व्यवहारी हूं ।।

विपुल विमल साहित्य इसका
सम्यक जीवन दर्शन है
सीधे सरल की अभिव्यक्ति है
विद् जनों का आकर्षण है

रज से रजतपट तक इसका
मैं गर्वित सहचारी हूं

मातृहिंदी मेरी , मैं

हिंदी का व्यवहारी हूं ।।

समर नाथ मिश्र