गीत
“गीत”
हिंदी हिंद की जान है, आन बान और शान है
भारत के हर वासी का, युग-युग से पहचान है
हर बोली में लहजा हिंदी, हर माथे पर सोहे बिंदी
घर-घर में इंसान है, आँगन मुख मुस्कान है…….
लिखना रुचिकर पढ़ना रुचिकर, रुचिकर है आठो डाँड़ी
हिंदी के हर शब्द में बहती, गंगा यमुना की नाड़ी
स्वर व्यंजन की आरती, प्रिय प्रतीक माँ भारती
सुख सुविधा ईमान है, हिंदी सरल विधान है……
हिंदी हिंद की जान है, आन बान और शान है
भारत के हर वासी का, युग-युग से पहचान है।।
वैतरणी ये पार करा दे, जीवन नौका घाट लगा दे
घट घट का उद्धार करा दे, मूरख मन में ज्ञान जगा दे
अनुप्रास अतिशयोक्ति भारी, अपनी बोली अपनी यारी
अलंकार रसखान है, मात्रिक छंद सुजान है……
हिंदी हिंद की जान है, आन बान और शान है
भारत के हर वासी का, युग-युग से पहचान है।।
दुनियाँ की सबसे प्रिय बोली, पाई पगड़ी कुमकुम झोली
मुहावरे की बात निराली, व्यंग बुझौनी सरस ठिठोली
आओ मिलकर साथियाँ, हर विपदा को झेल लें
कलरव विहग बिहान है, वर्णिक छंद महान है…….
हिंदी हिंद की जान है, आन बान और शान है
भारत के हर वासी का, युग-युग से पहचान है।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी