कविता

कल्पनाएं

ना जाने कितनी कोरी कल्पनाएं
दिल-ओ-जाँ पे दस्तक देती रहती हैं
मगर जीवन का यथार्थ कोई कल्पना नही
बल्कि हक़ीक़त की एक खुरदुरी जमीं है
जो एक ठहराव चाहता है, फिसलन नही
ज़िन्दगी चाहती है निरंतर बहना..मगर
हर पल अपनी जमीं से जुड़कर..
इसलिए कहती हूँ कि मेरी निगाहों में
एक कोरी कल्पना बनकर आने की
कोशिश ना करो, क्योंकि मैं समझ चुकी हूँ
जीवन की हक़ीक़त को जो हमदोनो को
बिल्कुल अलग दिशा में ले जाती है।।

‘रश्मि’

रश्मि अभय

नाम-रश्मि अभय पिता-श्री देवेंद्र कुमार अभय माता-स्वर्गीय सुशीला अभय पति-श्री प्रमोद कुमार पुत्र-आकर्ष दिवयम शिक्षा-स्नातक, एलएलबी, Bachelor of Mass Communication & Journalism पेशा-पत्रकार ब्यूरो चीफ़ 'शार्प रिपोर्टर' (बिहार) पुस्तकें- सूरज के छिपने तक (प्रकाशित) मेरी अनुभूति (प्रकाशित) महाराजगंज के मालवीय उमाशंकर प्रसाद,स्मृति ग्रंथ (प्रकाशित) कुछ एहसास...तेरे मेरे दरम्यान (शीघ्र प्रकाशित) निवास-पटना मोबाइल-09471026423 मेल [email protected]