कविता

पार होती हदें

जिसका खाना खाने में
  कलेज़ा दुख रहा हो
सोचो वो अन्दर ही अन्दर
   कितना रोया होगा,
 जिस पुत्र को उसका ही
     पिता मर जाने की
सलाह दे चुका हो और वो
   अभी तक जी रहा हो
सोचो उसका हाल कैसा होगा,
जो पुत्र पिता की तेल मालिश
करते-करते पसीने से नहा
चुका हो सोचो उसका
   परिणाम कैसा होगा,
वो कैसा पुत्र है जिसे
अपने आप को प्रयोग
करने तक का अधिकार
न हो और दूसरों के काम
और मदद के लिए सदा
तत्पर्य हो सोचो उसका
साहस कैसा होगा,
जो कभी पिता को लौटकर
जवाब न देना चाहता हो
उसे कठिन यातनाओं के
साथ पाला जा रहा हो
सोचो उस पर क्या बीत
रहा होगा,
वो इतनी यातना भरा
जीवन जी रहा है कि
उसकी हैसियत घर में
नौकर से भी बदतर है
सोचो उसके दिल पर
कितनी आवाजों का
बोझ होगा,
कितनी और हदें पार होगीं
— शिवम अन्तापुरिया

शिवम अन्तापुरिया

पूरा नाम शिवम अन्तापुरिया राम प्रसाद सिंह "आशा" उत्तर प्रदेश के जिला कानपुर देहात के अन्तापुर में 07/07/1998 को जन्म हुआ एक काव्य संग्रह प्रकाशित "राहों हवाओं में मन" दूसरी किताब पर लेखन शुरू दुनियां के सबसे बड़े काव्य संग्रह "बज़्म ए हिन्द" में प्रकाशित मेरी रचना "समस्याओं ने घेरा" राष्ट्र गौरव सम्मान नई कलम सम्मान कवि सम्मेलनों में सम्मानित अमेरिका, कनाडा सहित देश के दैनिक जागरण,अमर उजाला से लेकर देश छोटे बड़े लगभग (रोज 4-5) प्रदेश के सभी अखबारों में प्रकाशित होती रहती हैं रचनाएं "शिक्षा के शुरूआत से ही लेखन की ओर दिल झुकता गया" "सस्ती होती शोहरते गर इस जमाने में लोग लिए फ़िरते शोहरते हर घराने में" तेरे कदमों के आने के मेरे कदमों के जाने के बनें हैं पग जमीं पर जो निशां हैं वो मिटाने के....