तुम बिन डसता दिन
तुझ बिन मेरा पहला-दिन,
बेहद सूना-सूना निकला दिन।
था सब कुछ पहले जैसा पर,
मुझे लगा बदला-बदला दिन।
हर पल तुझको ढूंढ़ रहा था,
पागल सा मैं और पगला दिन।
घोर उदासी के सन्नाटों में,
गुजरा धुंधला-धुंधला दिन।
दिन भर रोया तेरी यादों में,
बड़ी मुश्किल से सम्भला दिन।
हर पल गुजरा कैसे मत पूछो,
तुम बिन डसता था उजला दिन।
— आशीष तिवारी निर्मल