माँ शेरावाली
माँ दुर्गा तुम्हारी आरती मैं करूँ भक्ति के साथ
चरणों में माथा धरें सबल,दुर्बल, दीन अनाथ।
सुरों में सरगम सजा दो गीत दो झंकार दो माँ
खड़ा हूँ कबसे ही किनारे मुझे मझधार दो माँ।
खुशियाँ अपार दो नाते रिश्तों में प्यार दो माँ
बुराईयों का खात्मा,समाज को संस्कार दो माँ।
हृदय कभी ना विचलित हो ऐसा साहस दो माँ
हे सिंह पे सवार मातु कर्तव्य बोध कस दो माँ।
लोक सुयश सुख सदन, पूर्ण हों सब के काज
सब पे कृपा दृष्टि रखना,रखना सबकी लाज।
— आशीष तिवारी निर्मल