पर्यावरण को समर्पित व्यक्तित्व सुश्री दिव्या कुमारी जैन
गत 11 वर्षों से पर्यावरण संरक्षण व सामाजिक चेतना का अभियान चला रही सुश्री दिव्या कुमारी जैन समर्पित व्यक्तित्व के साथ पर्यावरण संरक्षण का अभियान चलाते चलाते स्वयम पर्यावरण का पर्याय बन गई है । एक छोटी सी घटना जिसमे एक गाय की मृत्यु पॉलीथिन की थैलियों को खाने से हुई थी से प्रेरित या यूं कहें उद्दवेलित होकर दिव्या ने पॉलीथिन मुक्ति का अभियान एक नन्हे पौधे के रूप में चलाया जो आज एक वट वृक्ष बन चुका है । इन 11 वर्षों मे दिव्या ने अपने अभियान को शहर की सीमा से जिले ,जिले से राज्य और राज्य से राष्ट्र स्तर तक पहुंचा दिया है । हजारो कपड़े के थैले , पम्पलेट , स्टिकर व पर्यावरण मित्र पत्रिका का देश भर में निषुल्क वितरण कर न केवल जन जन को अभियान से जोड़ा बल्कि उन्हें भी ऐसे अभियान चलाने के लिए प्रेरित किया । साथ ही इस क्षेत्र में अपनी भी विशेष पहचान बनाई । आज दिव्या पर्यावरण का पर्याय बन गई है । कहि बार तो उसे उसके प्रशंसक पॉलीथिन गर्ल या पॉलीथिन बेबी की उपमा से भी सम्बोधित करते है । छोटी सी उम्र में इतने बड़े अभियान को चलाना , संकल्प लेना और सफलता प्राप्त करना बहुत बड़ी उपलब्धि कहि जा सकती है । निराशा उसे छू ही नही पाई । सफलता को जो उसने सखी बनाये हुआ था । इन 11 वर्षों में उसे प्रशंसको के सेकड़ो पत्र प्राप्त हुए । आशीर्वाद मिले , लोग भी प्रेरित हुए ।
दिव्या स्वयम कहती है सफलताएं सबकी साझा होती हैं में तो नन्ही गिलहरी हु जो अपने मुंह मे रेत के कण भरकर समुद्र पर सेतु बनाने का प्रयास कर रही हूं । ।
दिव्या को अपने अभियान के लिए अब तक 80 से अधिक बार जिले राज्य व देश भर में सम्मानित किया जा चुका है । जिसमे (श्रवणबेलगोला) कर्नाटक, (अहमदाबाद) गुजरात , दिल्ली, मध्यप्रदेश राजस्थान आदि जगह प्रमुख है । उसे गुजरात , उत्तरप्रदेश राजस्थान आदि राज्यो के CM के पत्र उसकी पत्रिका के लिए पाप्त हुए । माननीय प्रधानमंत्री जी तक उसने पत्रों के माध्यम से , मेल से सन्देश पहुचाये। , पॉलीथिन पर पूरे देश में रोक की मांग की । नतीजा सबके सामने है ।
दिव्या को पर्यावरण मित्र , स्वच्छता अग्रदूत, राष्ट्रीय बाल गौरव, ग्रीन आइडल , जल स्टार, ग्रीन पेरेंट , राष्ट्रीय जैन युवा गौरव , वनविस्तारक , स्वच्छता प्रहरी, आदि कहि पुरस्कार भी मिले ।
इस प्रकार कहा जा सकता है पर्यावरण शुध्दि के अभियान को चलाते चलाते दिव्या पर्यावरण का मानों पर्याय ही बन गई है ।