मिलन
सूर्य देव चले आहिस्ता आहिस्ता,
अस्ताचल को करके अपना काम,
संध्या तक रही है राह उनकी,
कुछ देर में होगा उनका मिलन,
संध्या रानी से , तब खिलेगी संध्या,
वातावरण होगा अद्भुत रमणीय,
इधर चंदा भी है आतुर आने को,
चांदनी को संग ले कर चमकने को,
चांदनी भी कर रही है इंतज़ार चंदा का,
सुंदर मोहक होगा वो समय ,पल जब,
सूर्य मिलेंगे संध्या से ……….और
चांद आएंगे अपनी चांदनी के संग,
यह समय होगा प्रेम का उनके ,
जन जन को लुभाता है यह समय,
मिलन का इनके ये ही तो साक्षी बनते,
धरती के अनगिनत प्रेम के हमेशा।।
शुभ संध्या।।।
सारिका औदिच्य