राजनीति

भारत-चीन की दोस्ती नये दौर में, प्रधानमंत्री ने साधे एक तीर से कई निशाने

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की 26 घंटे की अनौपचारिक यात्रा कई मायने में काफी महत्वपूर्ण रही है। जब प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में चीन के वुहान में अपने चीनी समकक्ष शी जिनपिंग के साथ अनौपचारिक मुलाकात की थी, तब से अब तक गंगा में काफी पानी बह चुका है। चीनी नेता की यह यात्रा कई मायने में काफी ऐतिहासिक इसलिए भी रही क्योंकि यह उस समय हुई है जब भारत सरकार अनुच्छेद-370 तथा 35-ए को समाप्त कर चुकी है और इसको लेकर पाकिस्तान को पूरी दुनिया से अलग-थलग कर चुकी है। शी जिनपिंग की महाबलीपुरम यात्रा से पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी चीन गये थे जहां उन्होंने कश्मीर का मुद्दा भी उठाया था।
भारत ओैर चीन के बीच की मैत्री भी बहुत पुरानी है और दुश्मनी भी, जिसका सबसे बड़ा कारण 3488 किमी लम्बी वास्तविक नियंत्रण रेखा तो है ही साथ ही अरूणाचल प्रदेश पर भी उसने अभी तक अपना दावा नहीं छोड़ा है तथा नये केंद्रशासित राज्य लद्दाख पर भी दावा जताता रहता है। कश्मीर को लेकर वह पाकिस्तान की मूल चिंता के साथ खड़ा हुआ दिखायी पड़ता है। चीन अभी तक अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी भारत का विरोध करता रहता है, इसके अलावा भी भारत और चीन के साथ बहुत से विवादित मुददे हैं जिनके कारण प्रायः विवाद होते रहते हैं। लेकिन अब परिस्थितियां बदल रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी कूटनीति के चलते चीन को अपनी ओर मोड़ने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। ऐसा पहली बार हुुआ है कि भारत और चीन के नेता आपस में द्विपक्षीय वार्ता कर रहे हों। अभी तक यह हालत थी कि चीन भारतीय नेताओं को कोई महत्व नहीं देता था, लेकिन अब चीन और भारत के नेता आपस में संवाद कर रहे हैं तथा एक-दूसरे की समस्याओं को समझने का प्रयास कर रहे हैं। अभी यह आशा लगाना कठिन है कि केवल एक-दो बैठकों से ही भारत और चीन के बीच सभी समस्याओं का अंत हो जायेगा लेकिन कम से कम दो महाबली नेताओं का अपनी लंबित समस्याओं के समाधान के लिए आगे आकर वर्ता करना यह भी एक सुखद क्षण है।
एक समय ऐसा था जब दोनों देशों के नेता आपस में मिलते तक नहीं थे लेकिन अब आज का परिदृश्य बदल गया है। भारत और चीन के नेताओं ने न केवल लम्बी वार्ता की अपितु महाबलीपुरम में पल्लवों की शिल्प नगरी रहे मामल्लपुरम में यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल स्मारकों को देखा और दोनों नेताओं ने एक साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद लिया। दोनों नेताओं ने नारियल के पानी व स्थानीय स्तर के लोकप्रिय व्यंजनों का आनंद भी उठाया तथा इस प्रकार दोनों देशों के प्राचीन संबंधों को नया क्षितिज प्रदान किया गया। महाबलीपुरम में दोनों नेताओं की केमिस्ट्री देखते ही बन रही थी, जिसके कारण पड़ोसी पाकिस्तान को निराश होना स्वाभाविक ही था। पाकिस्तानी मीडिया भी चीनी नेता का जिस प्रकार से भारत में स्वागत हो रहा था उसे काफी तरजीह दे रहा था। खबरें तो यह भी हैं कि पाक पीएम इमरान खान ने अपने घर पर टीवी में चीनी राष्ट्रपति के स्वागत समारोह व द्विपक्षीय वार्ता के समारोह आदि को देखा।
राजनैतिक विश्लेषक अभी अनुमान ही लगा सकते हैं कि आखिर दोनों नेताओं के बीच किन- किन विषयों पर बातचीत हुई है लेकिन हतना तय है कि दोनो ही नेताओं के बीच कश्मीर को लेकर किसी भी प्रकार की वार्ता नहीं हुई है तथा आतंकवाद पर चीन को साधने का भरपूर प्रयास किया गया है।
दोनों देशों के नेताओं के बीच इस बात को लेकर सहमति हो गयी है कि वे छोटे-मोटे मतभेदों को विवाद का रूप नहीं लेने देंगे और न ही इन मतभेदों से साझा भविष्य तलाशने की कोशिशों पर असर पड़ने देंगे। दोनों नेताओं के बीच कई चरणों में साढ़े छः घंटे चली व्यक्तिगत वार्ता में आर्थिक और व्यापारिक मुददों पर भी वार्ता हुई। सभी समस्याओं के समाधान के लिए एक उच्चस्तरीय वार्ता तंत्र बनाने पर सहमति बनी है। सबसे बड़ी बात यह हुई है कि सीमा पर शांति बहाल रखी जायेगी तथा इसके लिए अतिरिक्त उपायों का जल्द ही ऐलान किया जायेगा। आतंकवाद और धार्मिक कट्टरवाद रोकने पर सहयोग बढ़ाने पर भी व्यापक बातचीत हुई है।
दूसरा सबसे महत्वपूर्ण विषय रहा कि आगामी वर्ष भारत-चीन मैत्री के 70 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं जबकि भारत 2022 में आजादी की 75वीं वर्षगंठ मनायेगा। इस ऐतिहासिक अवसर का लाभ उठाने के लिए भारत और चीन दोनों ही देशों ने अपनी जनता को और करीब लाने के लिए सांस्कृतिक आदान-प्रदान करने वाले, पर्यटन को बढ़ावा देने वाले विभिन्न कार्यक्रमों को भी आयोजित करने का फैसला लिया है जिसके अंतर्गत 35 कार्यक्रम चीन में और 35 कार्यक्रमों का आयोजन भारत में किया जायेगा। ऐसे में पर्यटन को बढ़ावा देने की विशेष कोशिश हो रही है, जिससे चलते चीन स्थित भारतीय दूतावास ने वहां के नागरिकों को आसानी से वीजा देने संबंधी नियमों की घोषणा की है। इसके अलावा मामल्लपुरम और चीन के फुजियांग शहर के बीच पुराने संबंधों को खोजने के लिए साझा अध्ययन करने पर भी सहमति बनी। एक प्रकार से द्विपक्षीय वार्ता में कारोबार, निवेश और सेवा क्षेत्र से जुड़े विषयों पर एक नया तंत्र स्थापित करने पर सहमति बनी है। वार्ता के दौरान कश्मीर का मुद्दा नहीं उठा। एक प्रकार से दोनों नेताओं ने मित्रतापूर्ण माहौल में विचारों का आदान-प्रदान किया है। चर्चा यह भी हैे कि भारत सरकार ने चीन के प्रतिनिधिमंडल के साथ कैलास मानसरोवर यात्रा के यात्रियों को आसान सुविधा देने पर भी चीन के साथ चर्चा की है।
चीनी नेता के स्वागत के समय सबसे अधिक चर्चा पीएम मोदी की ड्रेस को लेकर रही। चीनी नेता के स्वागत में उन्होंने तमिल परिधान वेस्टि ओर अंगवस्त्रम पहना जिसे देखकर सभी लोग अचम्भित हो गये। माना जा रहा है कि अपनी डेªस के माध्यम से उन्होंने स्थानीय स्तर पर द्रविड़ राजनीति को भी साधने का प्रयास करते हुए एक स्पष्ट संदश दे दिया है कि अब आने वाले समय में हाउडी चेन्नई होने जा रहा हैं। वुहान से महाबलीपुरम तक का सफर संकेत दे गया है कि अब चेन्नई का राजनैतिक समीकरण भी बदल रहा है और पडोसी पाकिस्तान औेर आतंकवाद का भी।
— मृत्युंजय दीक्षित