करवा चौथ मनाऊंगा
करवा चौथ मनाऊंगा ,
मैं गीत प्यार के गाऊंगा ।
मैं भी तो अपनी सजनी के ,
खूब लाड़ लडॉऊंगा ।।
करवा चौथ मनाऊंगा ……
जब जब उसको देखता हुँ ,
मन खुश हो जाता मेरा ,
जब जब उसके पास जाऊ ,
तो दिल बहल जाता मेरा ,
उसके अहसासों को मैं तो ,
गीत गजल में पिरोऊंगा ।
करवा चौथ मनाऊंगा …….
जब-जब वो चलती आँगन में ,
पायल शोर मचाती है ,
उसके कदमों की आहट एक ,
मधुर धुन बन जाती है ,
उसके पायल की झनकार का ,
दीवाना मैं हो जाऊंगा ।
करवा चौथ मनाऊंगा …..
उसकी जुल्फों के साये में ,
अहसास निराला होता है ,
नेंन से जब नेंनन मिलते है ,
देख कर दिल खोता है ,
उसके जन्नत से आँचल में ,
चेन से मैं सो जाऊंगा ।
करवा चौथ मनाऊंगा …
सुबह सवेरे उसका चेहरा ,
सामने जब मेरे आता है ,
देख कर जन्नत की सीरत ,
मेरा दिन सुधर जाता है ,
उसके हाथों की चाय को ,
अमृत समझ पी जाऊंगा ।
करवा चौथ मनाऊंगा …..
लंबी उम्र की कामना लेके ,
निर्जल व्रत वो करती है ,
मेरी सलामती के खातिर ,
मांग में सिंदूर वो भरती है,
उसके अपरम प्यार से ही ,
जीवन नैया तर जाऊंगा ।
करवा चौथ मनाऊंगा…..
अर्ज करूँ मैं चंदा मामा ,
दर्शन देने जल्दी आना ,
मेरा चाँद है भूखा प्यासा ,
प्यास बुझाने आ जाना ,
छलनी में देखेगी तुझको ,
फिर प्यार से मैं खिलाऊंगा ।
करवा चौथ मनाऊंगा ……
करवा चौथ मनाऊंगा ,
मैं गीत प्यार के गाऊंगा ।
मैं भी तो अपनी सजनी के ,
खूब लाड़ लडॉऊंगा ।।
करवा चौथ मनाऊंगा ……
— कवि जसवंत लाल खटीक