कविता

प्यार ही धरोहर है

प्यार अमूल्य धरोहर है
इसकी अनुभूति
किसी योग साधना
से कम नहीं है,
इसके रूप अनेक हैं
लेकिन
नाम एक है।

प्यार रिश्तों की धरोहर है
और इस धरोहर
को बनाये रखना
हमारी संस्कृति
एकता और अखंडता है ,
यह अनमोल है।

प्यार
निर्झर झरनों की तरह
हमारे दिलों में
बहता रहे
यही जीवन की
सच्ची धरोहर है। में

प्यार
उस परम पिता परमात्मा
से करें
जिसने हमें
जीवन दिया है,
इस धरा धाम पर
हमें प्रभु ही लाते हैं।

प्यार
उन बेसहारा
बच्चों से करें
जो अभाव का जीवन जी रहे हैं
जो कुपोषण के शिकार हैं
और जो अनाथ है

आओ
हम सब संकल्प लें
हम सभी के प्रति
प्यार का भाव रखेंगे
किसी के प्रति
गलत नज़रिया
नहीं रखेंगे,
तभी मनुष्य जीवन सफल हो सकता है।

कालिका प्रसाद सेमवाल

कालिका प्रसाद सेमवाल

प्रवक्ता जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, रतूडा़, रुद्रप्रयाग ( उत्तराखण्ड) पिन 246171