आभासी दुनियाँ और युवा
बदलते दौर में सबसे क्रांतिकारी परिवर्तन जो हुआ है वो है सोशल मिडिया में हर उम्र के लोगों की दिलचस्पी ।आज हर आदमी अपने पसन्द अनुसार व्हाटसप ,फेसबुक ,ट्वीटर पर किसी न किसी से जुडा़ है भले ही ये जुडा़व आभासी है पर तन व मन को स्वस्थ रखने में ये योगदान बहुत मायने रखता है ।
आज का हमारा विषय युवाओं का आभासी दुनियाँ में सक्रियता पर केन्द्रित है अब बात यहाँ ये दृष्टिगत होती है कि हर विषय के दो पहलु होते है एक पहलु आपको उसके फायदों से अवगत कराता है वही दूसरा आपको उसके नकारात्मक प्रभावों से ।
युवावस्था में सोशल मिडिया के प्रति आर्कषण होना स्वभाविक है बढते एकाकी परिवारों की संख्या ने इसमें बढो़तरी ही की है अकेलेपन से छूटकारा पाने के लिये मोबाईल का सहारा लेना आम बात है जहाँ तक इसके सकारात्मक प्रभावों का विश्लेषण करें तो हम पाते है कि कई मित्र आपस में एक दूसरे से कितने ही दूर होकर भी मन को हल्का कर देते जिससे अकेलापन , डिप्रेसन जैसी समस्याओं से मुक्ति मिलती रही है एक अच्छा दोस्त आपको कितना सहायक हो सकता इस बात से हम भलीभांति वाकिफ है ।आभासी दुनियाँ ने युवाओं को जहाँ रोजगार दिया है आर्थिक रूप से सम्बल दिया है युटुयुब पर ऐसे कितने ही उदाहरण भरे पडे़ है आजकल आभासी मित्रों के स्नेह मिलन कार्यक्रम भी होने लगें है जिससे समाज में एक नया सहयोग रखने में मिसाल स्थापित की है अन्जाने लोग जब मिलते है तो आत्मिय सम्बन्ध स्थापित होते है । लोग अपनी लेखन समता का भरपूर उपयोग कर रहें है जिससे मन की बातें मन में नहीं रहती । आज का युवा बहुत समझदार है उसे पता है कि हर ची़ज का उपयोग किस सीमा तक करना है जिससे उसे सामाजिक व आर्थिक नुकसान न हो । आभासी दुनियाँ का एक नया रूप प्रेम विवाहों के रूप में भी सामने आया ।आभासी दुनियाँ पर अन्तरजातिय विवाहों को भी प्रोत्साहित किया है ।
जहाँ तक हम नकारात्मक प्रभावों की बात करें तो हर सिक्के के दो पहलू होते ही है ज्यादा सक्रियता ने नकारात्मक प्रभाव भी डालें ही है आभासी दुनियाँ से निकलते ही एक बार फिर अकेलापन कचोटने लगता है इस तरह सब लोग मोबाईल पर हद से ज्यादा समय बिताते है जो समय व मानव श्रम दोनों की बर्बादी है कार्य कुशलता पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है । सामाजिक सम्बन्धों के बजाय उन लोगों पर अपना समय देना जिन्हें हम जानते ही नहीं है कहाँ की समझदारी है ।
कई और ऐसे किस्से सामने आये है जिनमें धोखेबाजी और आर्थिक नुकसान पहुचानें जैसी कई समस्याओं से सामना भी हुआ है ।आभासी दुनियाँ ने युवाओं में अश्लिलता को भी बढा़या ही है जिससे युवा पथभ्रष्ट भी हुआ है ।
बहरहाल आभासी दुनियाँ के सकारात्मक व नकारात्मक पहलूओं का विश्लेषण होता रहेगा और युवा हर नयी ची़ज को अपनाते अपनाते,सीखते सीखाते उम्र के नये पडा़व में कई सीखें लेकर आगे बढ़ता रहेगा ।
अल्पना हर्ष ,बीकानेर