खुशियाँ (बाल कविता)
माँ के आँचल में हैं खुशियाँ
पकते चावल में हैं खुशियाँ
प्रेम लुटाती गृहलक्ष्मी की
रुनझुन पायल में हैं खुशियाँ
बहन रूप में आतीं खुशियाँ
भाई संग मिल गातीं खुशियाँ
गोद पिता की अनुपम जग में
वहाँ खूब किलकातीं खुशियाँ
अपने घर-आँगन में खुशियाँ
कुदरत के दामन में खुशियाँ
अगर ढूँढना चाहोगे तो
धरती के कण-कण में खुशियाँ