भजन/भावगीत

छठ मईया की महिमा अपरम्पार

उनकी ही तो अनुकंपा से चलता है संसार

महिमाशाली छठ मईया की महिमा अपरम्पार

कार्तिक माह में मईया जी आती हैं भक्तों के घर

व्रतियों की झोलियां वो खुशियों से देतीं है भर

तीन दिवस तक मां बसती है भक्तों के घर आंगन में

मां का स्वरूप दिखता है वातावरण के कण कण में

माता के महिमा को गाती चलती हवा बयार

महिमाशाली छठ ………………

नहाय-खाय से होती है मां के पूजा की शुरुआत

खरना का आयोजन होता है इसके अगली रात

फिर संध्या अर्घ्य को लोगों का घाटों पर होता है जुटान

बच्चों में खुशहाली रहती व्रतियां गाती मंगलगान

प्रातः अर्घ्य से माता की होती विदाई हर बार

महिमाशाली………………..

तीन दिन के व्रत से व्रतियों के चेहरे पर लाली आतीहै

इस व्रत से ही उनके घर समृद्धि खुशहाली आती है

माता जग को खुशहाल रखना हमसब यही मनाते हैं

सारे मिलकर श्रद्धा से माता की महिमा गाते हैं

मां सुख समृद्धि खुशहाली लेकर आती हैं हर बार

महिमाशाली …………. . . . . .

— विक्रम कुमार

विक्रम कुमार

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