सरदार जी ने देखा वो सपना साकार करना है
एकता के हिन्द की बड़ा आकार करना है
सरदार जी ने देखा वो सपना साकार करना है
उनका सपना देश ये परिवार के मानिंद हो
एक सूत्र में बंधा अपना ये पूरा हिंद हो
देश की मर्यादा मान का रखें ख्याल सब
हर दिल में अपना हिंद हो हर होंठ पे जय हिंद हो
देशभक्ति को ही जीने का आधार करना है
सरदार जी ने देखा वो सपना साकार करना है
वो चाहते थे देश में न कोई मतभेद हो
देश का न भाग कोई देश से विच्छेद हो
जाति,धर्म, मत का न हो यहां मसला कोई
संप्रदायों में न यहां कोई भी विभेद हो
उनकी दूरदर्शिता को स्वीकार करना है
सरदार जी ने देखा वो सपना साकार करना है
सारे मन से जाति- धरम का भरम उठाना है
एकता में देश की हर एक कदम उठाना है
समभाव और सद्भाव को अटल बनाएंगे
जयंती पे उनकी हमको ये कसम उठाना है
अपने वतन पे अपना ये जीवन निसार करना है
सरदार जी ने देखा वो सपना साकार करना है
सरदार जी ने देखा वो सपना साकार करना है
विक्रम कुमार