तुम साथ नही होते
जब दिल आहें भरता है
तुम साथ नही होते।
जब आहें तुझे देती हैं सदा
तुम साथ नहीं होते।
यूं तो महफिल है संग मेरे दर्दों की
जब तन्हाई सताए
तुम साथ नही होते।
रोम रोम में बसे हो मेरे
जब जोर से धङके दिल
क्यों तुम साथ नहीं होते
मेरे सिर्फ मेरे हो
फिर भी क्यों तुम साथ
नहीं होते।
— प्रभजोत कौर