गजल
नशे में हूँ, कहाँ जाऊँ , साकी ?
दो पहर तुझ संग बिताऊँ, साकी?
हर तरफ आँधियाँ दिवानी हैं,
दीप मैं कैसे जलाऊँ ,साकी ?
जिसके हाथों में खूनतर खंजर,
हाथ क्यों उससे मिलाऊँ ,साकी?
चुक गई स्याही ,दर्द लिख लिख के,
आँख के अश्क बचाऊँ ,साकी ?
नशे में हूँ तो दर्द कम से हैं ,
क्यों भला होश में आऊँ, साकी?
हर कोई सिर्फ दिलासा देगा ,
दर्द क्यों सबको बताऊँ ,साकी?
मन का मरुथल नही पसीजेगा,
कब तलक अश्क बहाऊँ, साकी?
—————- © डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी
जेआर१ जनरल सर्जरी विभाग
बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर