कविता

चले चलना चले चलना

चले चलना चले चलना
कभी कमजोर मत पड़ना
बिछे हों राह में कांटे
उन्हें तुम रौंद के चलना।

चले चलना चले चलना
कभी कमजोर मत पड़ना।

रूठे जो कभी अपने
टूटे जो कभी सपने
अपनो को मना लेना
नए सपने सजा लेना

चले चलना चले चलना
कभी कमजोर मत पड़ना

गिरोगे तुम कभी खुद से
गिराए जाओगे अक्सर
उठो, झाड़ो, बढ़ो आगे
रूकावट से नहीं रुकना

चले चलना चले चलना
कभी कमजोर मत पड़ना

मिलेगी मंजिलें खुद से
कभी आकर गले से वोे
नहीं जो साथ मे कोई
तो खुद को साथ ले लेना।

चले चलना चले चलना
कभी कमजोर मत पड़ना।
………#कविता सिंह

कविता सिंह

पति - श्री योगेश सिंह माता - श्रीमति कलावती सिंह पिता - श्री शैलेन्द्र सिंह जन्मतिथि - 2 जुलाई शिक्षा - एम. ए. हिंदी एवं राजनीति विज्ञान, बी. एड. व्यवसाय - डायरेक्टर ( समीक्षा कोचिंग) अभिरूचि - शिक्षण, लेखन एव समाज सेवा संयोजन - बनारसिया mail id : [email protected]