प्यारी-प्यारी चिड़िया
नन्हीं सी
प्यारी-प्यारी चिड़िया
इतनी भारी सर्दी में बैठी
मेरी छत की मुंडेर पर
गुटुर-गुटुर…
चीं-चीं, चूं-चूं करती है |
दाना चुगती
पर पानी नहीं पीती है !
हाल-चाल पूंछू उसको
इससे पहले
फुर्र गगन में उड़ जाती है |
कोई परवाह नहीं उसको सर्दी की
क्या उसको जाड़ा नहीं सताता
बैठ घोंसले में आराम नहीं भाता !
जाड़ा-गरमी या हो बरसात
सदैव पंख पसार कर उड़ती रहती
दिखा-दिखाकर करतब नये-नये
हम बच्चों को आकर्षित करती रहती…
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा