है कोई जवाब
है कोई जवाब
तुम कहते हो
आजकल बहुत बढ़ गई है बेशर्मी
शर्म हया तक बेच खाई है
नहीं रह गई है आँखों की शर्म
क्यों निकलती हैं अकेली वे
उनका चाल-चलन ही बिगड़ गया है
फटी हुई जिन्स पहने
तंग कपड़ो में
जिस्म की नुमाइश करती
नारी सुलभ संस्कार विहीन
गलत तो वे ही हैं
आधुनिकता के नाम पर
देर रात तक घरों से गायब रहना
दोस्तों के साथ मटरगश्ती करना
फिर कैसे रूकेंगे दुष्कर्म
पुरूष है फिसलेगा ही
लेकिन तुम्हारे पास
क्या जवाब है
मेरे प्रश्नों का!
वह तो अबोध बालिका ही थी
जिसे नोंच खसोट डाला
वहशी दरिंदे ने
और मार भी डाला
उस अबोध को
जिसे खुद ही नहीं मालूम
अपने जनांगो के खेल
मल-मूत्र त्यागने के अलावा
उसे क्या पता यौनाचार
क्या पहनना-ओढ़ना
क्या होती है आँखों की शर्म
कैसी और क्यों होती है आँखों की शर्म
किसके साथ घर से बाहर जाना
और किसके साथ घर में रहना
क्या गुनाह है उसका मासूम होना
या फिर सभी पर भरोसा करना
तुम जवाब दो
तुम्हें जवाब देना ही होगा
दुष्कर्मियों, हैवानों वहशियों के पक्ष में
कहने को अब भी कुछ है
तुम्हारे पास!