प्रेम
तुम सामने बैठी हो तो, मैं और क्या देखूँ ,
नजरों को तुम बिन , और कुछ भी भाता नहीं है
दिल चाहता है प्यार करूँ , तुमको जी भर के
मुश्किल बड़ी ये है कि , प्यार आता नहीं है
जी चाहता है हरदम तू , मुस्काती ही रहे
पल भर को अक्स , तेरा दिल से जाता नहीं है
ना जाने क्या अब ,इस दीवानगी का हो अंजाम
यह सोच भी अब, दिल को डराता ही नहीं है
हाँ प्यार है तुझसे किया , कोई पाप नहीं है
तेरा मुझे ठुकराना भी , इंसाफ नहीं है
माना हुआ था मैं तेरी , जुल्फों का दीवाना
पर बेवफाई दिल से , तेरी माफ नहीं है
तू पास नहीं फिर भी, मेरी जान रहेगी
मेरे हर एक साँस का , अरमान रहेगी
नजरों में बसाया है, तू इस दिल में रहेगी
अब याद में तेरी आँखें , दिन रात बहेगी
वादा किया था जन्मों , का है बंधन हमारा
यह सोचकर के दिल , हुआ था पागल बिचारा
सपने दिखाए खूब तूने, मुझको जन्नत के
मझधार में क्यों छोड़ा , नहीं पाया किनारा
जब तक चलेगी साँस , तुझे याद करूँगा
अब भूल कर भी ना , कोई फरियाद करूँगा
कर के ही मैंने प्यार तो ,ये जान लिया है
महबूब की सूरत में , खुदा मान लिया है
मैं खुशनसीब हूँ कि तेरा प्यार मिला है
कुछ पल को ही सही भला तुझसे क्या गीला है
ये दोष तेरा ना ही दोष मेरा है सनम
बस वक्त को ही सारा ये इल्जाम मिला है
इस वक्त ने ढाए हैं सितम जुल्म किया है
कब सोचके दुनिया में किसने इश्क किया है
अब तू न सही दिल में तेरी याद रहेगी
महफ़िल में भी अब तो मुझे तन्हाई मिला है