गीत/नवगीत

गीत – मां

तुमसे अलग हो कर ये मन न रह पाता है माँ
कामो मे उलझा रह कर भी याद करता माँ
आँखों मे सपने भरे पर सपने तुमसे है
तुम मुझमे कुछ यूँ बसी सब अपने तुमसे है
सपना पूरा करने मे तुम साथ देना माँ .
तुमसे अलग …..
रात को सर पे तेरी थापे  याद आती है
आँगन की किलकारी  याद आती है
जब भी भूखा सोया हूँ, तुम याद आती माँ
तुमसे अलग….
अँधियारा होने पर माँ तुम लोरी गाती थी
राजा बेटा कह के मेरा सर सहलाती थी
उन लम्हो मे मै फिर से जीना चाहता हूँ माँ
तुमसे अलग..
शाम को घर वापस आता न कोई मिलता है
पूरा दिन सब क्या किया न कोई कहता है
तेरा चेहरा सोच के सब सह लेता हूँ माँ
तुमसे अलग….
— आस्था दीक्षित 

आस्था दीक्षित

निवासी- कानपुर